INDORE. मनोज परमार ने 4 नवंबर को अपना जन्मदिन मनाया और इस दौरान समर्थकों ने उन्हें कई तमगे दिए और जमकर प्रचार वाले विज्ञापन हुए। इस दौरान वह जन्मदिन के पूर्व वाली रात में हूटर लगी कार में घूमते रहे। चेकिंग के दौरान विजयनगर चौराहे पर उनकी कार को एसीपी विजयनगर ने रोक लिया और हूटर लगाने की वजह पूछी।
परमार ने यह वजह बताई
एसीपी आईपीएस आदित्य पटोले ने परमार की कार को चेकिंग प्वाइंट पर रोका और हूटर पर आपत्ति लेते हुए पूछा कि यह क्यों लगाया गया है? इस पर परमार ने कहा कि मैं अखिल भारतीय बलाई महासंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। इसी कारण से यह लगाया है। इस पर एसीपी ने साफ कर दिया कि यह हूटर लगाने की उन्हें कोई पात्रता नहीं है और इस पर चालानी कार्रवाई की जाएगी। इसे हटाना होगा, इस पर परमार ने हटाने की बात कहते हुए मामले को रफा-दफा किया और चलते बना।
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नियम से क्या होना था, हुआ क्या?
नियम से इस पर 5000 रुपए की चालानी कार्रवाई होना थी जो ट्रैफिक पुलिस को करना थी जो नहीं की गई। वहीं पुलिस हूटर को हटवाती भी है, जैसे अभी अलग-अलग आवाज लगे साइलेंसर वाले वाहनों को रोका जा रहा है और उनके साइलेंसर निकलवाए जा रहे हैं, लेकिन इस केस में यह भी नहीं हुआ, केवल मौखिक चेतावनी कहो या सलाह, वह परमार को दी गई और वह वहां से रवाना हो गया।
जन्मदिन के दौरान परमार को यह मिले नाम
परमार को जन्मदिन के दिन पोस्टर में अलग-अलग उपमाएं दी गई है, खासकर दलित नेता की। इसी के साथ कुछ जगह बॉस लिखा हुआ है, तो कहीं पर मप्र का शेयर भी लिखा गया है। बीते दस सालों में परमार की भूमिका लिस्टेड गुंडे से उबरने के लिए छद्म रूप धारण करता रहा है। राजनीतिक संरक्षण खुलकर मिला हुआ है और इसका रौब अब सड़कों पर दिखता है।
हूटर लगी गाड़ी से चलता है परमार
परमार राजनीतिक संरक्षण की बदौलत अब सामान्य वाहन से नहीं बल्कि हूटर लगे वाहन से अपने आधा दर्जन से ज्यादा गुर्गों के साथ चलता है। आठ साल पुराने रिकार्ड की बात करें तो मनोज परमार पर हर तरह की गंभीर धाराओं में दो दर्जन से ज्यादा केस रजिस्टर्ड हो चुके हैं। पुलिस एक दुष्कर्म के केस में आज सीपी और तत्कालीन डीआईजी संतोष सिंह के समय चित्रकूट से गिरफ्तार भी कर चुकी है और इसी मामले में दस हजार का इनाम भी घोषित हो चुका है। वह अपने आपराधिक रिकार्ड के चलते जिलाबदर भी हो चुका है और मल्हारगंज थाने में उस पर सबसे ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं।
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इस तरह बदलता रहा रूप
मनोज परमार लिस्टेड गुंडे के बाद इस छवि से उबरने के लिए खुद को आचार्य बताने लगा। छह साल पहले उसने आचार्य की पदवी खुद को ही दे दी और आचार्य परमार कहलाने लगा। इसके बाद वह बलाई समाज की राजनीति से जुड़ा और इसके बाद समाज की जमकर राजनीति शुरू की, जहां भी समाज के मुद्दे, दलित के मुद्दे दिखे वहां पर परमार सक्रिय हुआ। अब वह अपनी छवि दलित नेता की बना रहे हैं और उनकी फोटो के साथ अब डॉ. भीमराव आंबेडकर की भी फोटो लगने लगा है। अब परमार राजनीतिक संरक्षण के चलते इतना बैखोफ हो चुका है कि वह बिंदास हूटर वाली गाड़ी से चलता है।
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