केन-बेतवा के मिलन के फायदे तो बहुत, नुकसान भी हैं क्या? पढ़ें रिपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी की 100वीं जयंती पर मध्यप्रदेश के खजुराहो में केन-बेतबा लिंक प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी है। सरकार का दावा है कि इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से बुंदेलखंड की तस्वीर बदल जाएगी।

author-image
Ravi Kant Dixit
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी की 100वीं जयंती पर मध्यप्रदेश के खजुराहो में केन-बेतबा लिंक प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी है। सरकार का दावा है कि इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से बुंदेलखंड की तस्वीर बदल जाएगी। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के 14 जिलों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। दोनों राज्यों के 65 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा मिलेगी। सरकार का दावा है कि यह देश की पहली राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत नदी जोड़ने की परियोजना है, लेकिन जब से इस प्रोजेक्ट की बात शुरू हुई है, तब से सवाल खड़े होते रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व (PTR) पर इस प्रोजेक्ट का बुरा असर पड़ सकता है। PTR में बाघों के साथ सांभर, चीतल, चिंकारा, चौसिंघा और ब्लू बुल जैसी प्रजातियां पाई जाती हैं। जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।  

10 फीसदी हिस्सा डूबने का अंदेशा 

करंट साइंस जर्नल में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, पन्ना जिला केन नदी के ऊपरी हिस्से में है। केन-बेतवा से पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रमुख आवास का 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पानी में डूब सकता है। जो करीब 58.03 वर्ग किलोमीटर है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से बाघों के प्रमुख आवास का करीब 105.23 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नुकसान होने का अंदेशा है। वहीं, करीब 20 लाख पुराने पेड़ इस प्रोजेक्ट की जद में आएंगे। 

असर पर रिसर्च की सिफारिश 

देश की प्रतिष्ठित मैगजीन डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार समिति ने 30 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें प्रोजेक्ट को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है। समिति ने अपनी रिपोर्ट के साथ यह सिफारिश की है कि इस प्रोजेक्ट से पन्ना टाइगर रिजर्व की अनूठी पारिस्थितिकी खत्म हो सकती है। ऐसे में पहले पन्ना नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व पर पड़ने वाले असर का रिसर्च होना चाहिए। 

जखनी गांव का मॉडल अपनाने की सलाह 

अब सरकार का दावा है कि केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड में जलसंकट दूर हो जाएगा, लेकिन करंट साइंस में छपे रिसर्च पेपर में कहा गया था कि बुंदेलखंड में पेयजल संकट को दूर करने के लिए जखनी गांव का मॉडल अपनाना चाहिए। ज्ञातव्य है कि इस गांव में खेतों में तालाबों का निर्माण, जलाशयों का जीर्णोद्धार और पुनरुद्धार किया गया है। वर्षा जल सहेजने के काम किए गए हैं। पौधरोपण पर फोकस किया गया है, जिससे वहां अब पानी का संकट नहीं रहा। नीति आयोग ने 2019 में इसे जलग्राम घोषित किया था।

मध्यप्रदेश और यूपी को यह फायदा होगा

इधर, प्रोजेक्ट की मानें तो केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश के 10 जिलों के दो हजार से ज्यादा गांवों सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। वहीं, उत्तरप्रदेश में 59 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। ऐसे ही MP के 44 लाख तो UP के 21 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा। रोजगार के अवसर खुलेंगे। उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 103 मेगावाट बिजली (जल विद्युत) और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।

sankalp 2025

पर्यावरण और पर्यटन को फायदा होने का दावा

सरकार का तर्क है कि इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से पन्ना टाइगर रिजर्व में पूरे साल जंगली जानवरों को पानी मिलेगा, जिससे वहां का पर्यावरण बेहतर होगा। परियोजना से बुंदेलखंड के ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों का भी संरक्षण किया जाएगा, जिससे भूजल स्तर बढ़ेगा। इस परियोजना से सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा, जिससे किसान ज्यादा फसल उगा सकेंगे। पानी और रोजगार मिलने से लोगों का पलायन रुकेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

44 हजार 605 करोड़ रुपए है लागत 

इस प्रोजेक्ट की लागत 44 हजार 605 करोड़ रुपए है। इसमें केंद्र सरकार 90 फीसदी पैसा खर्च करेगी, जबकि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश सरकार 10 फीसदी राज्यांश देंगी। दौधन में विशाल बांध बनाया जाएगा, जहां से केन नदी के अधिशेष जल को 221 किलोमीटर लंबी लिंक कैनाल के जरिए बेतवा नदी में प्रवाहित किया जाएगा। इस कैनाल के दोनों ओर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। इस प्रोजेक्ट से मध्यप्रदेश के 10 जिलों को सीधे तौर पर बड़ा लाभ होगा। इनमें छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, शिवपुरी, निवाड़ी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर जिला शामिल है। वहीं, उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों को सीधा फायदा होगा। 

क्या है केन-बेतवा परियोजना?

केन-बेतवा लिंक परियोजना भारत की पहली राष्ट्रीय नदी जोड़ो योजना है। यह योजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की पानी की कमी को दूर करने के लिए बनाई गई है। परियोजना के जरिए केन नदी का अतिरिक्त पानी बेतवा नदी में पहुंचाया जाएगा। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध बनाया जाएगा। बांध से पानी ले जाने के लिए 221 किलोमीटर लंबी नहर और दो सुरंगों का निर्माण होगा। बांध में 2,853 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का भंडारण किया जा सकेगा। 

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मध्य प्रदेश Ken-Betwa Link Project पीएम मोदी MP News केन-बेतवा लिंक परियोजना का फायदा केन-बेतवा प्रोजेक्ट Benefit of Ken-Betwa Link Project केन-बेतवा परियोजना मध्य प्रदेश समाचार मोहन यादव