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BHOPAL. वैकल्पिक ऊर्जा के प्रोजेक्ट को लेकर मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम में खींचतान अब कानूनी लड़ाई तक पहुंच गई है। निगम के चार इंजीनियरों ने चीफ इंजीनियर की प्रतिनियुक्ति पर आपत्ति दर्ज कराते हुए हाईकोर्ट की शरण ली है।
वहीं इंजीनियरों का आपसी विवाद निगम के नियमित कामकाज के साथ ही सरकार की योजनाओं पर भी असर डाल रहा है। ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों में चल रही खटपट की खबर सरकार तक पहुंच गई है।
दरअसल ऊर्जा विकास निगम में हाल ही में मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम डीपी अहिरवार को चीफ इंजीनियर बनाया गया है। 24 जुलाई को उनकी प्रतिनियुक्ति का आदेश सरकार द्वारा जारी किया गया था।
इस प्रतिनियुक्ति की वजह से निगम के वरिष्ठ इंजीनियर चीफ इंजीनियर बनने से वंचित रह गए हैं। अपनी वरिष्ठता के बावजूद इस पद से दूर रहे यही इंजीनियर अब लामबंद हो गए हैं और उन्होंने विरोध भी शुरू कर दिया है।
हाईकोर्ट पहुंचे चार इंजीनियर
चीफ इंजीनियर के पद पर बिजली कंपनी के सीजीएम की प्रतिनियुक्ति पर आपत्ति जता रहे ऊर्जा विकास निगम के चार इंजीनियर हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। उनके द्वारा हाईकोर्ट में चीफ इंजीनियर बनाए जाने के खिलाफ याचिका पेश की है। जिसमें तथ्य पेश किए गए हैं कि उनकी वरिष्ठता होने के बावजूद जूनियर अधिकारी को चीफ इंजीनियर बनाया गया है। याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज और डीपी अहिरवार का सर्विस रिकॉर्ड तलब किया है।
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वरिष्ठता की अनदेखी से नाराज
मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के इंजीनियर अजय कुमार शुक्ला, तरुण रत्नावत, प्रवीण तिवारी और वंदना चटर्जी ने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई है। जिसमें बताया गया है कि वे साल 1988 बैच के इंजीनियर हैं।
वहीं बिजली कंपनी से प्रतिनियुक्ति पर लाकर चीफ इंजीनियर बनाए गए डीपी अहिरवार का बैच 1991 का है। यानी वे चारों तीन साल की वरिष्ठता रखते हैं। ऐसे में उनसे कनिष्ठ अधिकारी को चीफ इंजीनियर कैसे बनाया जा सकता है। उनके पास इस पद पर काम करने के लिए अलग से कोई अनुभव भी नहीं है।
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प्रक्रिया का नहीं हुआ पालन
निगम में जारी खींचतान के बीच चीफ इंजीनियर बनने से वंचित रहे अधिकारियों के अनुसार वरिष्ठता में ऊपर होने के बाद भी उन्हें चीफ इंजीनियर नहीं बनाया गया। डीपी अहिरवार को इस पद पर बैठाने के लिए नियमों की अनदेखी की गई है।
चीफ इंजीनियर पद पर नियुक्ति से पहले विज्ञापन भी जारी नहीं किया गया और न ही कोई प्रक्रिया अपनाई गई। केवल आदेश जारी कर उन्हें इस पद पर प्रतिनियुक्ति दे दी गई है। इस गड़बड़ी पर विरोध जताते हुए इंजीनियरों ने निगम के एमडी और अन्य अधिकारियों को अवगत कराया है।
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