मेडिकल पीजी में सिर्फ मध्य प्रदेश के अभ्यर्थियों को मिल रहा मौका, 50% से अधिक आरक्षण असंवैधानिक: HC

एमपी में NEET PG काउंसलिंग रोक दी गई है। हाईकोर्ट ने राज्य के 50% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार के 50% से अधिक आरक्षण नियम को चुनौती दी।

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Neel Tiwari
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NEET PG

Photograph: (thesootr)

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JABALPUR. एमपी से MD या MS करने की आस लगाए MBBS graduates को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल ये नोटिफिकेशन  3 सितंबर 2025 को जारी किया गया था। इस नोटिफिकेशन में इंस्टीट्यूशन प्रेफरेंस देने की जानकारी थी। जो अभ्यर्थी मध्य प्रदेश के रजिस्टर्ड मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस नहीं किए हैं, वे काउंसलिंग के लिए अयोग्य हो गए हैं। इसके बाद, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के अभ्यर्थियों ने आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

50 परसेंट ऑल इंडिया और 50% स्टेट कोटा

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक वर्मा और यशोवर्धन सिंह ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश में 50% सीटें ऑल इंडिया के लिए रिजर्व हैं। बाकी 50% में 15% एनआरआई कोटा, 30% इन सर्विस कैंडिडेट और शेष सीटें इंस्टीट्यूशन प्रेफरेंस के तहत रिजर्व की गई हैं। याचिका में इंस्टीट्यूशन प्रेफरेंस को चुनौती दी गई थी। उन्होंने यह भी मांग की कि एनआरआई कोटा कुल सीटों पर होना चाहिए, न कि 50% सीटों पर।

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कोर्ट में नहीं चल सका राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में यह तथ्य दिया गया कि यह नियम साल 2000 से लागू है। आज तक इंस्टीट्यूशन प्रेफरेंस को चलेंगे नहीं किया गया है। इसके साथ ही कोर्ट को बताया गया कि इस काउंसलिंग में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है।

वह काफी जटिल है जिसे जल्द बदलना मुमकिन नहीं है। लेकिन हाईकोर्ट ने यह साफ कहा की असंवैधानिक नियम केवल इस वजह से लागू नहीं किया सकता। क्योंकि वह लंबे समय से चला रहा है या सॉफ्टवेयर जटिल है।

काउंसलिंग रोकने की अंडरटेकिंग

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि सुनवाई चल रही है। इस कारण 19 सितंबर को होने वाली काउंसलिंग रोकी जा रही है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह आज ही आदेश देंगे। राज्य सरकार की अंडरटेकिंग रिकॉर्ड पर ले ली गई है।

चीफ जस्टिस ने दिया शोले के डायलॉग का उदाहरण

राज्य सरकार की ओर से रैशनल उत्तर प्रस्तुत करने के लिए 2019 के एक एफिडेविट को अपलोड किया गया था। सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रदीप जैन मामले में ऑल इंडिया टेस्ट नहीं था। अब काफी बदलाव आए हैं। कोर्ट इस बात पर संतुष्ट नहीं हो सका की सुप्रीम कोर्ट में प्रदीप जैन मामले के बाद स्थिति में कुछ बदलाव आए हैं।

 कोर्ट ने पुराने एफिडेविट पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि 50% ऑल इंडिया और 50% स्टेट कोटा लागू करने से अनारक्षित अभ्यर्थियों के लिए कोई सीट नहीं बचती। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की, "आधे इधर, आधे उधर, बाकी मेरे पीछे आओ।"

50% से अधिक रिजर्वेशन असंवैधानिक

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने प्रदीप जैन, सौरभ चौधरी और तन्वी बहल के मामलों में आदेशों की व्याख्या की। बेंच ने स्पष्ट किया कि 50% से अधिक आरक्षण देना संवैधानिक नहीं है।

मध्य प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएट सीटों में ऑल इंडिया कोटा अलग किया गया। बची 1062 सीटों में 15% एनआरआई और 30% इन सर्विस आरक्षित किया गया। इंस्टीट्यूशन प्रेफरेंस को कोर्ट ने 100% आरक्षण माना।

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मध्य प्रदेश के अभ्यर्थियों को भी हो रहा नुकसान

इस मामले में याचिकार्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक वर्मा ने कोर्ट को बताया कि जो अभ्यर्थी मध्य प्रदेश में ही पैदा हुए हैं और यहां के स्थाईनिवासी हैं। यदि उन्होंने भी अपना एमबीबीएस किसी अन्य स्टेट से किया है और वह चाहते हैं कि वह मध्य प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएट करें तो उन्हें इस नियम के तहत सेलेक्ट नहीं किया जाएगा।

राज्य की ओर से या तथ्य दिया गया की काउंसलिंग के पहले राउंड के बाद दूसरे राउंड में सभी अभ्यर्थियों का सिलेक्शन होगा।  लेकिन प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर कोर्ट ने यह माना कि जब लगभग 7000 MBBS सेट होने के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की सीट मात्र 1062 है, तो सेकंड राउंड में अन्य अभ्यर्थियों के लिए कोई सीट बचेगी ही नहीं।

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मध्य प्रदेश के अभ्यर्थियों को भी हो रहा नुकसान

इस मामले में अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जो अभ्यर्थी मध्यप्रदेश में ही पैदा हुए हैं और यहां के स्थाई निवासी हैं। यदि उन्होंने भी अपना एमबीबीएस किसी अन्य स्टेट से किया है। वह चाहते हैं कि वह मध्य प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएट करें तो उन्हें इस नियम के तहत सेलेक्ट नहीं किया जाएगा।

राज्य की ओर से यह तथ्य प्रस्तुत किया गया कि काउंसलिंग के पहले राउंड के बाद दूसरे राउंड में सभी अभ्यर्थियों का चयन होगा। कोर्ट ने आंकड़ों के आधार पर यह माना। 7000 एमबीबीएस सीटों के बाद केवल 1062 पोस्ट ग्रेजुएशन सीटें हैं। ऐसे में दूसरे राउंड में अन्य अभ्यर्थियों के लिए सीट नहीं बचेंगी।

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कोर्ट से याचिका कर्ताओं को मिली राहत

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की व्याख्या की। कोर्ट ने राज्य सरकार पर मनमानी व्याख्या का आरोप लगाया। सरकार ने गलत नियम लागू किया था। कोर्ट ने 50% से अधिक इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस को असंवैधानिक करार दिया। सरकार को आदेश दिया कि अन्य राज्य से एमबीबीएस करने वालों को काउंसलिंग में शामिल किया जाए।

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