दिल्ली में आज होगी ओबीसी आरक्षण पर बैठक, 23 सितंबर से SC में रोजाना सुनवाई

मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 23 सितंबर से शुरू हो रही है। इस मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए 4 सितंबर 2025 को दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में महाधिवक्ता की अगुवाई में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।

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Neel Tiwari
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Meeting on OBC Reservation
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मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता हुआ नजर आ रहा है। इसी मुद्दे पर रणनीति बनाने के लिए 4 सितंबर 2025 को दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन में महाधिवक्ता की अगुवाई में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।

कई संगठन और अधिवक्ता होंगे बैठक में शामिल

महाधिवक्ता ने इस बैठक में ओबीसी आरक्षण से जुड़े सभी अधिवक्ताओं को फोन कॉल कर आमंत्रित किया है। बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, वरुण ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह और हनमत लोधी के अलावा शिक्षक भर्ती, पुलिस भर्ती, पीएससी और छात्र संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक का मकसद सुप्रीम कोर्ट में 23 सितंबर से शुरू होने वाली सुनवाई के लिए ठोस रणनीति तैयार करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को "टॉप ऑफ द बोर्ड" घोषित किया है, जिसका अर्थ है कि हर दिन अदालत सबसे पहले इसी प्रकरण की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि यह सुनवाई अब इस लंबे समय से अटके मामले को अंतिम दिशा दे सकती है।

CM कर चुके हैं सर्वदलीय बैठक

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 28 अगस्त को सीएम हाउस में सर्वदलीय बैठक कर इस मुद्दे पर सभी दलों की राय ली थी। भाजपा, कांग्रेस, आप और समाजवादी पार्टी सहित सभी दलों ने 27 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने के पक्ष में एकमत से प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि 10 सितंबर से पहले अधिवक्ताओं के साथ अलग बैठक कर अंतिम रणनीति बनाई जाएगी।

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महाधिवक्ता के पास मामला हल करने की चाबी

वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण को हल करने की चाबी महाधिवक्ता की जेब में है और यदि सरकार चाह ले तो अब तक होल्ड किए गए 13 प्रतिशत पद भी तुरंत अनहोल्ड कराए जा सकते हैं। अब सबकी निगाहें 4 सितंबर को होने वाली इस बैठक और 23 सितंबर से सुप्रीम कोर्ट में शुरू होने वाली रोजाना सुनवाई पर टिकी हैं। यह प्रक्रिया लाखों ओबीसी अभ्यर्थियों की लंबे समय से अटकी उम्मीदों को नया रास्ता दिखा सकती है।

हजारों पदों पर अटकी है भर्तियां

इस कानूनी विवाद का सीधा असर भर्ती परीक्षाओं के हजारों पदों और लाखों अभ्यर्थियों पर पड़ा है। सितंबर 2022 में जब परिणाम रोक दिए गए, तब विधिक सलाह पर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने पीएससी में 87-13 प्रतिशत का फार्मूला लागू कर रिजल्ट जारी करना शुरू किया। इसमें 13 प्रतिशत पद हर भर्ती में रोक दिए गए। इसके साथ ही आंसर शीट दिखाना भी बंद कर दिया गया और चयनित उम्मीदवारों के अलावा अन्य अभ्यर्थियों के रिजल्ट सार्वजनिक नहीं किए गए। जनवरी 2023 में यही फार्मूला एमपी कर्मचारी चयन मंडल (ESB) की भर्तियों में भी लागू कर दिया गया। इसके बाद से पीएससी और ईएसबी की 2019 से अब तक हुई भर्तियों के 13 प्रतिशत पदों के परिणाम होल्ड हैं। इन पदों की संख्या हजारों में पहुंच चुकी है और लाखों होल्ड उम्मीदवार सालों से परेशान हैं।

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2019 से अब तक, ओबीसी आरक्षण मामले की टाइमलाइन

ओबीसी आरक्षण का यह पूरा मामला 8 मार्च 2019 से शुरू हुआ, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश जारी कर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। लेकिन हाईकोर्ट ने पीजी-नीट प्रवेश में इस फैसले पर रोक लगाते हुए केवल 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मान्यता दी। इसके बाद 14 अगस्त 2019 को विधानसभा ने विधेयक पारित कर इसे कानून का रूप दिया और एक्ट लागू हो गया। इसके बाद से ही लगातार कानूनी लड़ाई जारी है। सौ से अधिक याचिकाएं इस मामले में दायर हुईं, जिनमें से करीब 70 याचिकाएं 18 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो गईं। इनमें कुछ याचिकाएं 27 प्रतिशत आरक्षण का विरोध करती हैं तो कुछ इसे लागू कराने की मांग करती हैं।

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