एमजीएम मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर का लैटर- फैकल्टी निजी अस्पताल में मरीज भेजने का बनाती है दबाव

इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज और एमवाय अस्पताल के इंटर्न डॉक्टर्स ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल की फैकल्टी उन्हें मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज करने के बजाय प्राइवेट अस्पताल भेजने का दबाव बनाती है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज और एमवाय अस्पताल प्रबंधन पर इंटर्न डॉक्टर्स द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में इन इंटर्न डॉक्टर्स का एक लैटर बिना नाम के सामने आया है। डीन को यह लैटर लिखा गया है। यह सभी वर्ष 2020 बैच के इंटर्न डॉक्टर्स हैं। करीब 250 जो इंटर्नशिप कर रहे हैं।

फैकल्टी बोलती है मरीज प्राइवेट में भेजो

इसमें गंभीर आरोप लगा है कि एमवाएएच अस्पताल की फैकल्टी द्वारा हम पर दबाव बनाया जाता है कि वह मरीज को यहां उपचार करने की जगह प्राइवेट अस्पताल में भेजें। कई बार कहा जाता है कि मरीज को निजी या फिर अन्य सरकारी अस्पताल में लेकर चले जाएं।

तीन महीने से स्टाइपेंड नहीं मिला

यह भी शिकायत की गई है कि तीन महीने से स्टाइपेंड नहीं मिला है। कई इंटर्न डॉक्टर इसी राशि से ही अपनी एजुकेशन का और अन्य खर्च उठाते हैं। इस संबंध में कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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इन विभागों में काम करने में समस्या

यह भी बताया गया है कि सर्जरी, मेडिसिन और आर्थोपैडिक्स विभागों में इंटर्न को काम करने में काफी समस्या आ रही है। रात में भी 12 से 14 घंटे की नाइट ड्यूटी करवाई जा रही है। लंबी ड्यूटी करने से मानसिक एवं शारीरिक थकान बढ़ रही है और पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

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भोजन नहीं करोगे तो मर नहीं जाओगे

शिकायत में यह भी है कि फैकल्टी द्वारा हमें भोजन करने मंजूरी तक नहीं दी जाती और कहा जाता है कि बाद में खा लेना। एक दिन नहीं खाओगे तो मर नहीं जाओगे। साथ ही हमसे ऐसे कार्य करवाए जाते हैं, जो क्लीनिकल प्रैक्टिस से बाहर हैं।

दी जाती है धमकी

इंटर्न डॉक्टरों ने डीन से मांग की है कि स्टाइपेंड का भुगतान किया जाए। क्लीनिकल कार्य भर करवाएं, समय पर भोजन करने दें। वहीं डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने कहा कि इंटर्न डॉक्टर का लैटर मिला है, स्टाइपेंड की शिकायत को लेकर एचओडी से बात की है। बाकी विभाग प्रमुखों से बात कर रहे हैं।

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