मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय का यह याराना, फिर चर्चा में क्यों आया

मध्‍य प्रदेश में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की पारिवारिक दोस्ती एक बार फिर सार्वजनिक हुई। एक पेड़ मां के नाम अभियान में पौधा लगाने इंदौर पहुंचे ज्योतिरादित्य से विजयवर्गीय काफी देर तक गले लगे रहे...

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Sanjay gupta
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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की पारिवारिक दोस्ती एक बार फिर सार्वजनिक हुई। इसे दिखाने में सिंधिया ने किसी तरह की कोताही नहीं की और एक बार वह इंदौर में विजयवर्गीय का हाथ थामे हुए आगे बढ़ते दिखे। सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय का यह याराना...

इस घटना ने दिखाया याराना

दरअसल सिंधिया मंत्री विजयवर्गीय के एक पेड़ मां के नाम अभियान में 51 लाख पौधे लगाने की मुहिम के तहत पौधा लगाने गुरुवार को इंदौर पहुंचे थे। आयोजन स्थल पर जब सिंधिया विजयवर्गीय से मिले तो गले लगा लिया और काफी देर तक इसी तरह पर रहे। यह आत्मीयता को सभी ने देखा। इसके बाद पूरे समय दोनों साथ ही घूमे। 

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इसके बाद यह किया सिंधिया ने

कार्यक्रम के बाद सिंधिया ने विजयवर्गीय को आवाज देकर अपनी कार में बुलाया, लेकिन उनका ध्यान नहीं था तो वह अपनी कार में बैठ गए। इस पर सिंधिया अपनी कार से उतरकर उनके पास गए और उनका हाथ पकड़कर साथ लेकर अपनी कार तक आए और कार में बैठाया। इस दौरान मंत्री तुलसी सिलावट भी साथ थे। 

एक बार हाथ खींचकर मंच पर ले गए थे

सिंधिया ने यह पहली बार नहीं किया है। एमपीसीए के अवार्ड सेरेमनी में मंच पर सिंधिया थे, इसके बाद विजयवर्गीय आए और वह नीचे ही सोफे पर बैठ गए। यह देख सिंधिया मंच से उतरे और उनका हाथ आत्मीयता से खींचकर मंच पर ले गए और अपने पास बैठाया।

घर पर भी अचानक पहुंच गए थे सिंधिया

सिंधिया इसी तरह एक बार विजयवर्गीय के घर पर अपने पुत्र महानआर्यमन को लेकर पहुंच गए थे और साथ में भोजन किया था, इस दौरान उन्होंने महानआर्यमन को समझाते हुए कहा था कि इनके पैर छुओ। इस वक्त भी उन्होंने लंबा समय साथ गुजारा था। 

एक समय राजनीतिक दुश्मनी भी तगड़ी रही

वैसे दोनों की यह दोस्ती सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद ही शुरू हुई है। इसके पहले सिंधिया जब कांग्रेस में थे, तब दोनों के बीच एमपीसीए के चुनाव के चलते भारी तनातनी थी। हालांकि काफी दम दिखाने के बाद भी विजयवर्गीय दोनों बार सिंधिया से चुनाव हार गए थे लेकिन तीसरी बार वह खुद मैदान से हट गए औऱ् सिंधिया का समर्थन कर दिया था, इसके बाद से दोनों के रिश्तों में सुधार हुआ। फिर जब सिंधिया बीजेपी में आ गए तो दोनों की पारिवारिक दोस्ती शुरू हो गई।

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