विधायक फंड पर विवाद : कांग्रेस और बीजेपी में तकरार, विजन डॉक्यूमेंट पर भी रार

मध्य प्रदेश में विधायक फंड को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है, जिसके लिए विधायकों को विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने को कहा गया है। 

Advertisment
author-image
Pratibha ranaa
New Update
विजन डॉक्यूमेंट
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) सरकार ने विधानसभा क्षेत्रों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए की योजना की घोषणा की है। इस घोषणा से राज्य की राजनीति में एक नया विवाद हो गया है। इस योजना के तहत विधायकों को अपने क्षेत्र के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट ( vision document ) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। कांग्रेस के विधायकों ने इस प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया है। आरोप है कि कांग्रेस विधायकों से तो इस बारे में पूछा ही नहीं गया है। 

विवाद वाला विजन डॉक्यूमेंट 

सरकार का लक्ष्य है कि हर विधानसभा क्षेत्र में अगले चार वर्षों में 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाएं। इसके लिए विधायकों को एक विस्तृत विकास योजना ( विजन डाक्यूमेंट ) प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इस डॉक्यूमेंट में मूलभूत समस्याओं का आकलन, योजनाओं का कार्यान्वयन और मॉनिटरिंग की प्रक्रिया शामिल होगी।

ये खबर भी पढ़िए...बीजेपी का सदस्यता अभियान : 10 करोड़ वर्कर जोड़ेगी पार्टी, सदस्यता अभियान एक सितंबर से

तीन फेज की होगी योजना

  • फर्स्ट फेज: मूलभूत समस्याओं का डॉक्यूमेंट तैयार करना।
  • सेकेंड फेज: विकास योजनाओं का निर्माण और मॉनिटरिंग।
  • थर्ड फेज: गुणात्मक और मात्रात्मक मापदंडों पर आधारित लक्ष्यों का निर्धारण।

कांग्रेस की आपत्ति क्या है? 

कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें इस विजन डॉक्यूमेंट के फॉर्मेट की जानकारी ही नहीं दी गई, जबकि बीजेपी के विधायकों को इसका फायदा मिल रहा है। कांग्रेस का कहना है कि पिछले फरवरी में भी बीजेपी विधायकों को 15-15 करोड़ रुपए के प्रस्ताव दिए गए थे, जबकि कांग्रेस विधायकों को केवल 5-5 करोड़ रुपये के प्रस्ताव ही दिए गए।

कांग्रेस के उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष के विधायकों के साथ भेदभाव कर रही है और यह संविधान के खिलाफ है।

कांग्रेस का काम केवल राजनीति करना: सारंग 

कांग्रेस की आपत्ति पर कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस विधायकों का आरोप केवल राजनीति है। सरकार ने सभी विधायकों को समान रूप से अवसर देने की कोशिश की है और ई-विधायक ऑफिस खोलने के लिए 5 लाख रुपए का प्रावधान भी किया है।

ये खबर भी पढ़िए...News Strike : मप्र में बढ़ा दिल्ली का दखल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेताओं को कब मिलेगा फ्री हैंड ?

जिला योजना समितिको मिलेगा अधिकार

दरअसल विधायकों के विजन डॉक्यूमेंट को जमीन पर उतारने का काम जिला योजना समिति करेगी। मध्य प्रदेश में 5 साल बाद एक बार फिर जिला सरकार की वापसी होने जा रही है। इसके तहत जिला योजना समिति के माध्यम से अधिकांश फैसले लिए जाने का अधिकार जिले के प्रभारी मंत्री के हाथ में होगा।

इससे व्यवस्था का विकेंद्रीकरण होगा। सूत्रों का कहना है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला योजना समिति के संबंध दिशा- निर्देश का प्रारूप भी तैयार कर लिया है, जिसे मुख्यमंत्री की अनुमति के बाद जारी किया जाएगा।

कमलनाथ सरकार ने दी थी समिति को ताकत

प्रदेश में 2003 के पहले लागू जिला सरकार के मॉडल को 2019 में कमलनाथ सरकार ने संशोधित किया था। इसमें जिला योजना समिति का दायरा बढ़ाया गया। समिति में तीन सदस्य और बढ़ाए गए ताकि जिला स्तर पर राजनीतिक जमावट बेहतर की जा सके। समिति को 2 करोड़ रुपए तक के कामों को मंजूर करने का अधिकार दिया गया था।

जिले के भीतर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी का तबादला भी समिति की सिफारिश पर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से किए जाने का प्रावधान भी किया गया था। इतना ही नहीं, हर विकास खंड को 2-2 करोड़ का विशेष फंड भी दिया गया था।

pratibha rana

thesootr links


द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

 

 

Madhya Pradesh Politics मध्य प्रदेश राजनीति Madhya Pradesh Politics News vision document Congress BJP Dispute विधायक फंड विवाद MLA Fund Controversy mla fund dispute mla fund dispute vision document