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पूरी खबर को पांच पॉइंट में समझें-
कांग्रेस ने मनरेगा का नाम बदलने को गांधी विचारधारा पर हमला बताया है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 5 जनवरी से सीहोर जिले से पदयात्रा शुरू करेंगे, ताकि यह आंदोलन गांव-गांव तक पहुंचे।
कांग्रेस का कहना है कि सरकार जानबूझकर गांधी के विचारों को योजनाओं से बाहर कर रही है। साथ ही, उनका नाम मिटाने की कोशिश कर रही है।
मनरेगा देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है, जिसका प्रभाव गांवों और गरीबों पर सीधे पड़ता है।
दिग्विजय सिंह की पदयात्रा के बाद कांग्रेस इस मुद्दे को और तेजी से उठाने की योजना बना रही है। इससे राजनीतिक टकराव बढ़ सकता है।
Sehore. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदले जाने को लेकर सियासत तेज हो गई है। इस फैसले के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अब सीधे जनआंदोलन की राह पर जा रहे हैं। कांग्रेस इसे सिर्फ नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि गांधी विचारधारा पर चोट बता रही है।
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5 जनवरी से शुरु होगी पदयात्रा
दिग्विजय सिंह ने ऐलान किया है कि वे 5 जनवरी से पदयात्रा शुरू करेंगे। यह यात्रा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर से निकलेगी। खास बात यह है कि पदयात्रा की शुरुआत सीहोर की किसी ग्राम पंचायत से की जाएगी, ताकि गांव-गांव तक विरोध की आवाज पहुंचे।
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मनरेगा का नाम क्यों बदला गया?
केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदल दिया है। अब इसका नाम विकसित भारत गारंटी रोजगार आजीविका मिशन ग्रामीण होगा। यह बदलाव लोकसभा में विधेयक के रूप में पारित हो चुका है। अब यह फैसला कानूनी रूप से लागू हो चुका है।
कांग्रेस का आरोप: गांधी नाम मिटाने की कोशिश
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता का अपमान है। पार्टी का आरोप है कि सरकार जानबूझकर गांधी के विचारों को योजनाओं से बाहर कर रही है। सरकार पर गांधीजी की पहचान को मिटाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है।
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दिग्विजय सिंह का तीखा बयान
दिग्विजय सिंह ने साफ कहा है कि यह सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं है, बल्कि गांधीजी के नाम और विचारधारा को मिटाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि इसी साजिश के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा। साथ ही, जनता को सच्चाई बताई जाएगी।
ग्रामीण राजनीति में क्यों अहम है यह मुद्दा?
मनरेगा देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजनाओं में से एक है। इसका सीधा असर गांव, मजदूर और गरीब परिवारों पर पड़ता है। ऐसे में नाम बदलाव का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और वैचारिक बहस का केंद्र बन गया है।
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जानें अब आगे क्या होगा?
दिग्विजय सिंह की पदयात्रा के बाद कांग्रेस इस मुद्दे को और व्यापक स्तर पर उठाने की तैयारी में है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन ग्रामीण राजनीति को और तेज कर सकता है। इसके साथ ही केंद्र और राज्य के बीच टकराव भी बढ़ सकता है।
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