जबलपुर में 7 मई को बजेगा सायरन, अस्पतालों में लगेगी ‘आग’, रहें सावधान

मॉक ड्रिल जबलपुर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देश के लिए भी एक विशेष महत्व रखती है, क्योंकि युद्धकालीन आपात स्थितियों से निपटने के लिए आम नागरिकों की भागीदारी और प्रशासन की तत्परता दोनों आवश्यक होती हैं।

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Neel Tiwari
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mock-drill-jabalpur-siren Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश के प्रमुख शहर जबलपुर में 7 मई को एक अनोखा और ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। 54 वर्षों के बाद शहर को एक मॉक युद्ध की परिस्थिति में रखा जाएगा, जिसका उद्देश्य है कि युद्ध जैसी आपदा की स्थिति में नागरिकों और प्रशासन की तैयारियों की परख। यह मॉकड्रिल केवल जबलपुर ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देश के लिए भी एक विशेष महत्व रखती है, क्योंकि युद्धकालीन आपात स्थितियों से निपटने के लिए आम नागरिकों की भागीदारी और प्रशासन की तत्परता दोनों आवश्यक होती हैं।

शहर में बजेगा सायरन, फैलेगी अफरा-तफरी

7 मई को ठीक शाम 4 बजे शहर में एक तीव्र सायरन बजेगा, जो मॉकड्रिल की शुरुआत का संकेत होगा। यह सायरन इस बात का संकेत देगा कि अब शहर को युद्ध जैसी स्थिति में प्रवेश करना है। प्रशासन के अनुसार यह अभ्यास पूर्ण रूप से नियंत्रित रहेगा, लेकिन आम जनता से अपेक्षा की जा रही है कि वह इस अभ्यास को गंभीरता से ले और पूर्ण सहयोग प्रदान करे। सायरन के बाद विशेष संदेश प्रसारित किया जाएगा जिसमें नागरिकों को अगले निर्देशों की जानकारी दी जाएगी।

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मॉडल अस्पताल में लगेगी आग

मॉकड्रिल के दौरान शहर के एक चयनित मॉडल अस्पताल में 'आग लगने' की स्थिति बनाई जाएगी। यह पूरी तरह से योजनाबद्ध और स्क्रिप्ट आधारित घटना होगी, जिसमें दर्जनों लोगों के घायल होने का अनुमानित दृश्य बनाया जाएगा। प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि घायलों के त्वरित इलाज के लिए अस्थायी अस्पताल स्थापित किए जाएं। इस दौरान ऐंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस, एनडीआरएफ और पुलिस का समन्वित अभ्यास कराया जाएगा।

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नागरिकों से लाइट बंद रखने का निवेदन

सुरक्षा के मद्देनज़र प्रशासन ने सभी अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे अपनी छत पर 'एच' (H) अक्षर का बड़ा साइन बनाएं, जिससे हवाई हमलों की स्थिति में इन्हें चिन्हित किया जा सके। इसके अलावा शहरवासियों से निवेदन किया गया है कि वे शाम 7:30 से 7:42 तक अपने घरों की सारी लाइटें बंद रखें। हालांकि अस्पतालों को छूट दी गई है कि वे केवल बाहर से दिखाई देने वाली लाइटें ही बंद करें, क्योंकि अंदरूनी लाइट्स और जीवनरक्षक उपकरणों की मशीनें चालू रखना आवश्यक है।

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कलेक्टर दीपक सक्सेना ने दी जानकारी

जबलपुर के कलेक्टर श्री दीपक सक्सेना ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि यह मॉकड्रिल इसलिए कराई जा रही है ताकि युद्ध जैसी संभावित आपदा के समय शहरवासी घबराएं नहीं और एक प्रशिक्षित प्रतिक्रिया दे सकें। उन्होंने यह भी कहा कि मॉकड्रिल के दौरान दोबारा सायरन बजाए जाने की स्थिति में नागरिकों को उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए। हालांकि यह जानकारी केवल पत्रकारों के माध्यम से ही प्रसारित हुई, प्रशासन द्वारा किसी तरह की जनजागरूकता या प्रचार अभियान नहीं चलाया गया, जो एक बड़ी खामी के रूप में सामने आई है।

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मीडिया के भरोसे प्रशासन, आधे शहर को नहीं पता क्या होगा

मॉकड्रिल जैसे गंभीर आयोजन को लेकर शहर की जनता में भ्रम की स्थिति है। बहुत से नागरिकों को यह तक नहीं पता कि 7 मई को शहर में सायरन क्यों बजेगा और क्या गतिविधियां होंगी। प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की जागरूकता रैली, पर्चा वितरण, सोशल मीडिया अभियान या वार्ड स्तर पर मीटिंग नहीं की गई। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सूचना केवल मीडिया तक सीमित रही और आम नागरिक अंधेरे में हैं।

जब छोटी योजनाओं का प्रचार होता है तो इनका क्यों नहीं?

जब कुछ जागरूक नागरिकों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने अपनी नाराजगी जताई। एक नागरिक ने सवाल उठाया – “जब प्रशासन मलेरिया की दवा वितरण या डेंगू अभियान के लिए ढोल-नगाड़े बजाता है, गली-गली मुनादी कराता है, तो इस तरह की युद्ध जैसी मॉकड्रिल को छिपाकर क्यों रखा गया?” लोगों ने यह भी कहा कि अगर प्रशासन वाकई ईमानदारी से इस अभ्यास को करना चाहता है तो उसे पहले जनता को मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए।

मॉक ड्रिल बनेगी जागरूकता की मिसाल या रह जाएगी औपचारिकता?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह मॉक ड्रिल प्रशासन और जनता के बीच तालमेल स्थापित करने में सफल होगी? या फिर यह भी उन सरकारी औपचारिकताओं की तरह एक 'टिक मार्क' बनकर रह जाएगी जिसका ज़मीनी स्तर पर कोई असर नहीं होगा? शहरवासियों की प्रतिक्रिया और मॉक ड्रिल की व्यावहारिक सफलता ही यह तय करेगी कि क्या यह अभ्यास वास्तव में युद्ध जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारी है या केवल कागज़ी कवायद। 

मॉक ड्रिल: आपातकालीन परिस्थितियों में सुरक्षा की तैयारी

मॉक ड्रिल (Mock Drill) एक तरह की आपातकालीन अभ्यास प्रक्रिया है, जिसे किसी भी तरह के संकट या दुर्घटना की स्थिति में तेजी से और सही तरीके से प्रतिक्रिया देने के लिए आयोजित किया जाता है। यह ड्रिल आमतौर पर सुरक्षा प्रोटोकॉल, जीवन रक्षा उपायों और विभिन्न आपातकालीन स्थितियों से निपटने के तरीकों को प्रशिक्षित करने के लिए की जाती है। मॉक ड्रिल का उद्देश्य टीम की तत्परता और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित करना है।

ऐसे होती है मॉक ड्रिल...

1. संकट का माहौल तय करना

  • मॉक ड्रिल की शुरुआत एक आपातकालीन स्थिति के परिदृश्य से होती है। यह परिदृश्य किसी भी वास्तविक जीवन की स्थिति पर आधारित हो सकता है, जैसे आग लगना, भूकंप, बम धमाका, या किसी अन्य प्राकृतिक या मानव जनित आपदा।

  • इसमें यह तय किया जाता है कि कौन-कौन से रिस्पॉन्स टीमें शामिल होंगी और उनकी जिम्मेदारियां क्या होंगी।

2. प्रशिक्षण और तैयारी

  • मॉक ड्रिल में हिस्सा लेने वाले सभी कर्मचारियों और टीम के सदस्यों को पहले से प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण उनके कर्तव्यों और सुरक्षा प्रोटोकॉल को समझने के लिए आवश्यक होता है।

  • इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी टीम सदस्य घटनास्थल पर तुरंत और सही तरीके से प्रतिक्रिया करें।

3. कम्यूनिकेशन का परीक्षण 

  • मॉक ड्रिल के दौरान, आपातकालीन संचार प्रणालियों का परीक्षण किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी टीम सदस्य और संबंधित अधिकारी एक-दूसरे से संपर्क कर सकें।

  • इसमें रेडियो, टेलीफोन और अन्य संचार उपकरणों की कार्यक्षमता जांची जाती है।

4. सुरक्षा उपकरणों का उपयोग

  • मॉक ड्रिल में सुरक्षा उपकरणों का उपयोग भी महत्वपूर्ण होता है, जैसे आग बुझाने के उपकरण, प्राथमिक चिकित्सा किट, और अन्य आवश्यक संसाधन।

  • यह देखा जाता है कि सभी उपकरण सही स्थिति में हैं और उनका इस्तेमाल प्रशिक्षण के दौरान किया जा सकता है।

5. बाहर निकालना और बचाव योजना

  • मॉक ड्रिल के दौरान, आपातकालीन स्थिति में इवाकुएशन और बचाव प्रक्रिया का परीक्षण किया जाता है।

  • इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी व्यक्ति सुरक्षित स्थानों पर पहुँच सकें और जो लोग घायल हैं, उनका सही तरीके से इलाज किया जा सके।

6. समय प्रबंधन का पालन

  • मॉक ड्रिल के दौरान समय सीमा का पालन किया जाता है, जिससे यह पता चलता है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम कितने समय में घटना स्थल पर पहुंचती है और कितनी जल्दी मदद पहुँचाई जाती है।

  • यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी हों, ताकि नुकसान को कम किया जा सके।

मॉक ड्रिल के फायदे...

  • आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया
    मॉक ड्रिल से टीम को आपातकालीन स्थिति में त्वरित और सही प्रतिक्रिया देने का अभ्यास मिलता है। इससे समय बचता है और नुकसान कम होता है।

  • कम्यूनिकेशन सुधार
    इस दौरान संचार प्रणाली की जांच की जाती है, जिससे संकट के समय में संवाद में कोई समस्या नहीं होती।

  • सुरक्षा सुनिश्चित करना
    मॉक ड्रिल से सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित होता है, और यह सुनिश्चित करता है कि सभी कर्मचारी सुरक्षित तरीके से कार्य करें।

  • संसाधनों का बेहतर उपयोग
    मॉक ड्रिल यह सुनिश्चित करती है कि सभी संसाधन आपातकालीन स्थिति में सही तरीके से इस्तेमाल किए जाएं।

  • टीम की तत्परता
    मॉक ड्रिल टीम की तत्परता और समन्वय को बढ़ावा देती है, जिससे वे संकट के दौरान अधिक सक्षम होते हैं।

मध्यप्रदेश जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना सायरन मॉकड्रिल