प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में भोपाल के एक युवा महेश की प्रशंसा की। उन्होंने महेश के बुजुर्गों को डिजिटल पेमेंट सिखाने की पहल को सराहा। इसके बाद प्रशासन और भाजपा कार्यकर्ता महेश की खोज में जुट गए, लेकिन…
महेश की तलाश, क्या है पूरी कहानी?
रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि भोपाल के महेश ने अपने मोहल्ले के बुजुर्गों को डिजिटल पेमेंट करना सिखाया। इस पहल ने बुजुर्गों को स्मार्टफोन का सही उपयोग करने में मदद की। हालांकि, पीएम मोदी के इस उल्लेख में महेश की पूरी पहचान नहीं दी गई, जिससे भोपाल के भाजपा कार्यकर्ता और प्रशासन महेश की तलाश में जुट गए।
मन की बात कार्यक्रम खत्म होते ही भाजपा कार्यकर्ता सक्रिय हो गए। महेश के बारे में कोई जानकारी न मिलने पर कलेक्टर और वरिष्ठ अधिकारी भी खोज में लग गए। देर रात तक सोशल मीडिया पर संदेश भेजे गए- 'महेश को ढूंढने में मदद करें।'
पीएम तक कैसे पहुंची महेश की कहानी?
इधर, भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री तक जानकारी Mygov पोर्टल और सामाजिक संगठनों के माध्यम से पहुंची। देशभर से हजारों सुझावों में महेश की कहानी चुनी गई।
पीएम मोदी के अनुसार महेश ने यह साबित किया कि डिजिटल तकनीक का उपयोग हर उम्र के लोगों के लिए संभव है। उन्होंने बुजुर्गों को न केवल मोबाइल चलाना सिखाया, बल्कि डिजिटल पेमेंट के फायदे भी बताए।
FAQ
महेश कौन हैं, जिनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तारीफ की?
भोपाल के महेश ने बुजुर्गों को डिजिटल पेमेंट सिखाने की पहल की।
पीएम मोदी को महेश की जानकारी कैसे मिली?
माय गव पोर्टल और सामाजिक संगठनों से यह जानकारी पहुंची।
क्या महेश को खोज लिया गया है?
अब तक महेश की पहचान नहीं हो सकी है। प्रशासन खोज में जुटा है।
महेश की पहल का महत्व क्या है?
यह पहल बुजुर्गों को डिजिटल तकनीक से जोड़ने का बेहतरीन उदाहरण है।
महेश की तलाश में कौन-कौन शामिल है?
भाजपा कार्यकर्ता, कलेक्टर, और जिला प्रशासन महेश को खोजने में लगे हैं।