इंदौर में अहिल्या उत्सव समिति द्वारा आयोजित 22 वें देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सोमवार को रामजन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय को पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर उन्होंने और RSS संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या के राम मंदिर को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।
लोग पूछा करते थे मंदिर क्यों जरूरी
भागवत ने कहा कि- लोग मुझसे पूछते थे आखिर राम मंदिर क्यों जरूरी है, गरीबी, रोजगार, स्वास्थ्य जैसी बात क्यों नहीं की जा रही। इस पर मैंने यही जवाब दिया कि रोजगार और खुशहाली का रास्ता भी राम मंदिर से होकर जाता है। भारत की रोजी-रोटी का रास्ता राम मंदिर से होकर जाता है। साल 1992 के बाद लोग बोलते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। साल 2024 में मंदिर की प्रतिष्ठा हुई। कोई झगड़ा नहीं हुआ। कोई कलह सामने नहीं आई। राम मंदिर बन गया।
रामराज्य और मां अहिल्या राज्य एक जैसा
उन्होंने रामराज्य की तुलना मां देवी अहिल्या के राज्य से करते हुए कहा कि यह दोनों एक जैसा ही रहा। देवी अहिल्या ने अपना राज्य रामराज्य की तरह चलाया। उन्होंने कहा कि देश का संविधान स्व से बना है। स्व का अर्थ है राम, कृष्ण और शिव। राम, कृष्ण, शिव तीनों ही भारत को जोड़ते हैं।
चंपत राय बोले यह भारत की मूंछ का मंदिर
वहीं चंपत राय ने पुरस्कार ज्ञात-अज्ञात कार सेवकों के नाम किया। उन्होंने कहा कि - अयोध्या में श्री राम का मंदिर भारत की मूंछ का भी मंदिर है। मंदिर बनने से पूरी दुनिया में भारत और हिंदू समाज की प्रतिष्ठा को चार चांद लगे हैं। उन्होंने खुद को निमित्त मात्र बताया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर कई कार सेवकों, प्रशासकों, अधिकारियों, लोगों के सहयोग का नतीजा है। किसी एक व्यक्ति से यह नहीं हुआ। ना जाने कितने इसमें बलिदान हुए। मंदिर के लिए 75 लड़ाइयां लड़ी गईं, यह पुरस्कार उन सभी को समर्पित है।
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