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Photograph: (THESOOTR)
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Photograph: (THESOOTR)
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर का दिल कहे जाने वाला मालवीय चौक शनिवार को अचानक सुर्खियों में आ गया। जब मोहर्रम के मौके पर लगे लंगर कार्यक्रम के बीच फिलिस्तीन समर्थन का एक बड़ा बैनर खुलेआम चौराहे पर टांगा गया। इस बैनर को श्री विष्णु धाम मंदिर के प्रवेश द्वार के जेंट्री गेट पर लगाया गया था।
यह कोई मामूली पोस्टर नहीं था, बल्कि एक बड़ा बैनर था जिसमें फिलिस्तीन का झंडा बना था और उस पर मोटे अक्षरों में लिखा था "Pray for Palestine"। कार्यक्रम में डीजे बज रहा था, लोग लंगर का आनंद ले रहे थे, और ठीक उसी बीच ये राजनीतिक-संवेदनशील बैनर पुलिस और आम नागरिकों की नजरों के सामने लगातार कई घंटे तक लहराता रहा।
रात करीब दस बजे जब यह बात एसपी संपत उपाध्याय के संज्ञान में आई, तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए संबंधित थाने के सीएसपी को मौके पर भेजा और बैनर तुरंत हटवाया गया। एसपी ने बताया कि मामले को गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदारों की पहचान कर उनके विरुद्ध कानून की उचित धाराओं में कार्रवाई की जा रही है।
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विश्व हिंदू परिषद के प्रांत सहमंत्री प्रदीप गुप्ता ने इस मामले को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि मोहर्रम जैसे अवसरों पर जहां प्रशासन अलर्ट मोड में रहता है, वहां शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहे पर दिनभर फिलिस्तीन समर्थन का बैनर टंगा रहना बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में इस तरह की गतिविधियों पर कार्रवाई हो चुकी है, फिर जबलपुर में ऐसी ढिलाई क्यों?
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यह केवल जबलपुर की इकलौती घटना नहीं है इसके पहले भी भोपाल , इंदौर जैसे बड़े शहरों के साथ ही उत्तर प्रदेश और मुंबई में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं जिसके बाद पुलिस ने इन पर सख्त कार्रवाई की है।
इन सभी मामलों में प्रशासन की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को धार्मिक या सार्वजनिक आयोजनों से दूर रखा जाए, जिससे स्थानीय शांति और सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित न हो।
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अब सवाल उठता है कि क्या जबलपुर में भी फिलिस्तीन समर्थन की कोई संगठित सोच धीरे-धीरे आकार ले रही है? या फिर यह सिर्फ एक संयोग है जिसे समय रहते शिकायत मिलने पर प्रशासन ने संभाल लिया? लेकिन जिस तरह से यह बैनर बिना किसी रोकटोक के घंटे भर नहीं, बल्कि पूरे दिन टंगा रहा, यह जरूर प्रशासन की सतर्कता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
सोचने वाली बात यहां यह भी है कि मिली जानकारी के अनुसार किसी एक व्यक्ति के ऊपर केवल कार्यवाही की गई है जबकि यह कार्यवाई आयोजन करने वाली पूरी समिति पर होनी चाहिए थी।
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यह मामला केवल एक बैनर का नहीं, बल्कि वर्तमान समय की संवेदनशीलता का है, जिसमें धार्मिक आयोजनों की आड़ में अंतरराष्ट्रीय राजनीति को मंच मिल रहा है। अगर इस तरह की गतिविधियों को समय रहते रोका नहीं गया, तो यह स्थानीय स्तर पर वैचारिक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक तनाव का कारण बन सकती हैं।
प्रशासन को चाहिए कि वह सिर्फ कार्रवाई तक सीमित न रहे, बल्कि इंटेलिजेंस नेटवर्क को मजबूत कर ऐसी गतिविधियों की पहले से पहचान और रोकथाम करे।
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