इंदौर माइनिंग अधिकारियों ने 7 साल के बच्चे के नाम फर्जी दस्तावेज से दी खदान, हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को दिए FIR आदेश

इंदौर में माइनिंग अधिकारियों ने सात साल के बच्चे के नाम पर फर्जी दस्तावेज से खदान आवंटित की। हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। इस मामले में भ्रष्टाचार एक्ट में जांच की जाएगी और खनिज अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
indore-mining-officials-fake-documents

Photograph: (The Sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

INDORE. देश में वोट डालने और बैंक खाता खोलने के लिए 18 साल की उम्र जरूरी है, लेकिन खदान की लीज के लिए नहीं। ये कारनामा मध्यप्रदेश के इंदौर में माइनिंग अधिकारियों ने किया है। इन अफसरों ने सात साल के बच्चे के नाम पर खदान आवंटित कर दी। 

यह मामला हाईकोर्ट में खुला, जब दो लीज आवंटी आपस में भिड़े और दस्तावेज पेश किए। हाईकोर्ट ने लोकायुक्त को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता समा खान, दीपक वर्मा पर 50-50 हजार की कास्ट लगाई है, क्योंकि कई याचिकाएं लगाकर इन्होंने हाईकोर्ट का समय बर्बाद किया। 

हाईकोर्ट ने माइनिंग अधिकारियों को लेकर कहा

हाईकोर्ट जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी ने फैसला देते हुए साफ कहा कि- यह गैरकानूनी तरीके से खदान लीज आवंटन, नवीनीकरण और बेचने का यह कृत्य इंदौर खनिज विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से संभव नहीं है। यह पूरा मामला भ्रष्टाचार एक्ट 1988 के दायरे में आता है। स्पेशल पुलिस स्टेशबिलिसमेंट (लोकायुक्त) एसपी को निर्देश दिए जाते हैं कि वह इस मा्मले में एफआईआर दर्ज करें और पूरे मामले की कानून के अनुसार जांच करें। 

ये खबर भी पढ़ें...

इंदौर का चर्चित गड्‌ढा: AIRTEL की अवैध खुदाई से फटी थी वॉटर लाइन, निगम की जांच में खुलासा

यह है पूरा मामला, कई सालों के अधिकारी घिरेंगे

यह पूरा मामला देपालपुर तहसील के रावद गांव के सर्वे नंबर 33/1/4/3 और सर्वे नंबर 33/1/4/4 को लेकर है। इन सर्वे नंबर को लेकर लीज आवंटी लगातर आपस में लड़ रहे थे कि दूसरे वाले उनके क्षेत्र में घुस रहे हैं। इस पर अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बैनल के पास मामला पहुंचा तो उन्होंने जांच कराई। इसमें अवैध खनन पर समा खान लीज आवंटित पर जुर्माने की प्रक्रिया हुई और 29 करोड़ की पेनल्टी का केस बना। इन सर्वे नंबर की खदान को लेकर समा खान के साथ ही दीपक वर्मा, बद्रीलाल डामोर व अन्य के बीच विवाद चल रहा था। 

ये खबर भी पढ़ें...

BJP प्रदेशाध्यक्ष कल आ रहे इंदौर, मंत्री विजयवर्गीय बोले- पहले वीडी जिंदाबाद के नारे अब खंडेलवाल के लिए, यही हमारा अनुशासन

इस तरह हुआ पूरा घटनाक्रम...

  • यह खदान दीपक वर्मा को 1987 में जब आवंटित हो गई थी, जबकि वर्मा तब केवल सात साल के थे। उनका जन्मदिन 1980 साल का है। लेकिन उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज के आधार पर 18 साल का बताकर लीज आवंटित कर दी गई।
  • इसके बाद फिर उन्हीं के पास 1997-98 में फिर 2008 में लीज आवंटित हुई। 
  • साल 2017 में लीज को लेकर दीपक और समा खान के बीच समझौता हुआ और उन्होंने खदान समा को बेच दी। 

ये खबर भी पढ़ें...

इंदौर में रिलायंस फ्रेश की महंगी छाछ, 5 रुपये के लिए 5000 का जुर्माना, 7 साल चला केस

बाद में समा के नाम पर लीज रिन्यू

इसके बाद दीपक और समा के बीच विवाद शुरू हो गया और शिकायतों का दौर शुरू हुआ। दीपक ने आरोप लगाया कि यह खदान समा को गलत आवंटित की गई, जबकि उनके पास सालों से यह खदान आवंटित है। 

उधर समा खान और पास के सर्वे नंबर 33/1/4/4 के लीज आवंटी के बीच विवाद चल रहा था। आवंटी का कहना था कि समा उनके एरिया में आकर अवैध खनन कर रहे हैं और अतिक्रमण कर रहे हैं

इसकी भी अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने जांच कराई थी और शिकायत में पाया गया कि समा खान ने आवंटित एरिया से अधिक कुल 5 हेक्टेयर एरिया में खनन किया जबकि उनके पास 3.6 हेक्टेयर जमीन ही लीज आवंटित थी। इस पर उनके खिलाफ अतिक्रमण और अवैध खननन का केस बना। 

अपर कलेक्टर कोर्ट के आदेश और लीज आवंटन, जांच इन सभी के खिलाफ कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हुई। इन पर अब हईकोर्ट डबल बैंच ने यह आदेश जारी किया है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि इन्होंने कई याचिकाएं लगाकर हाईकोर्ट का समय बर्बाद किया, इस केस में इनकी आपस में मिलीभगत साफ दिख रही है और अपर कलेक्टर द्वारा भी इसमें लीज आवंटन की जांच की गई और अन्य आदेश किए गए। इसलिए याचिकाकर्ताओं पर 50-50 हजार की कास्ट लगाई जाती है। 

ये खबर भी पढ़ें...

SAIL Recruitment 2025 : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया में निकली मेडिकल स्टाफ भर्ती, जल्द करें आवेदन

इन सालों के लीज आवंटन की होगी जांच

यह लीज आवंटन का खेल 1987 से चल रहा है। बाद में 1998, 2008 और 2018 में नवीनीकरण हुआ। ऐसे में लोायुक्त द्वारा इन अहम सालों के लीजन आवंटन की प्रक्रिया को जांचा जाएगा और इसके लिए जिम्मेदार खनिज अधिकारी इस केस में उलझ सकते हैं। MP News

thesootr links

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

MP News मध्यप्रदेश MP इंदौर Indore हाईकोर्ट लोकायुक्त फर्जी दस्तावेज एफआईआर माइनिंग खदान