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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन ने अंबेडकर जयंती से पहले बड़ा फैसला लेते हुए सागर जिले में 258.64 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन क्षेत्र को डॉ. भीमराव अंबेडकर अभ्यारण्य घोषित किया है। यह मध्य प्रदेश का 25वां अभयारण्य होगा, जो वन्यजीव संरक्षण और प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा देगा। इसका नोटिफिकेशन सरकार द्वारा अंबेडकर जयंती से ठीक पहले जारी किया गया है। हालांकि नाम को लेकर कांग्रेस ने निशाना साधा है।
डॉ. अंबेडकर के नाम पर घोषित हुआ अभयारण्य
इस अभयारण्य को डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर नामित करना सामाजिक सम्मान के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। यह संरक्षित क्षेत्र उत्तर सागर वन मंडल के अंतर्गत तहसील बंडा और शाहगढ़ के रिजर्व वनों में फैला हुआ है। इससे वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की सुरक्षा और पुनर्स्थापना में सहायता मिलेगी।
कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा
कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बाबा साहब अंबेडकर के नाम पर जानवरों से जुड़ी योजनाओं का नामकरण करना उनका अपमान है। कांग्रेस प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने कहा कि अगर वास्तव में बाबा साहब का सम्मान करना है, तो शिक्षण संस्थानों और विधि से जुड़े संस्थानों का नाम उनके नाम पर रखना चाहिए, न कि जानवरों से जुड़ी योजनाओं का।
अभयारण्य से पारिस्थितिकी तंत्र होगा बेहतर
राज्य सरकार का मानना है कि इस अभयारण्य के निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) मजबूत होगा और जैव विविधता (Biodiversity) का संरक्षण किया जा सकेगा। इस संरक्षित क्षेत्र में विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों के लिए प्राकृतिक वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे उनका प्रजनन और विकास सुगम होगा।
स्थानीय पर्यटन को मिलेगा बड़ा प्रोत्साहन
इस अभयारण्य की स्थापना से इको-टूरिज्म (Eco-Tourism) को भी बढ़ावा मिलेगा। जंगल सफारी, पक्षी दर्शन और प्रकृति भ्रमण जैसी गतिविधियों के चलते सागर जिले में पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। सरकार का उद्देश्य है कि इससे ग्रामीणों को भी स्वरोजगार और स्थानीय रोजगार के अवसर मिल सकें।
25864 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला अभयारण्य
डॉ. भीमराव अंबेडकर अभयारण्य 25864 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा, जिसमें सागर जिले के उत्तर सागर वन मंडल, बंडा तहसील और शाहगढ़ वन क्षेत्र के रिजर्व वन क्षेत्र शामिल हैं। यह अभयारण्य वन्यजीवों के संरक्षण और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
पर्यावरण संरक्षण और रोजगार के लिए पहल
डॉ. अंबेडकर अभयारण्य सिर्फ वन्यजीव संरक्षण का प्रयास नहीं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें गाइड, गार्ड और पर्यावरण कार्यकर्ता जैसे कार्यों में लगाया जा सकेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
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