700 प्राध्यापकों को 4 साल से पदोन्नति की आस

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों को चार साल से पदोन्नति का इंतजार है। इसके लिए कॉलेजों से फाइल तैयार होकर चार साल से विभाग में दबी पड़ी है।

Advertisment
author-image
Sanjay Sharma
New Update
Higher Education Department
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL : प्रदेश में केवल स्कूल शिक्षा ही  बदहाली का  शिकार नहीं है। उच्च शिक्षा के  हाल ही बदतर बने हुए है। वजह विभाग के अफसरों का उदासीन रवैया है जो अपने ही सिस्टम को अपग्रेड नहीं होने दे रहा है। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले प्रोफेसरों को चार साल से पदोन्नति का इंतजार है। इसके लिए कॉलेजों से फाइल तैयार होकर चार साल से विभाग में दबी पड़ी है। लेकिन इसे आगे बढ़ाकर प्रोफेसरों को पदोन्नति देने में अफसर रुचि ही नहीं ले रहे हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग के प्रोफेसर पदनाम के लिए विभागीय आदेश का इंतजार कर रहे हैं। वहीं उनमें विभाग के उदासीनता भरे रवैए को लेकर नाराजगी भी बढ़ रही है। जिसका असर कॉलेजों में होने वाली पढ़ाई पर भी नजर आ रहा है। विभाग के रवैए से दुखी प्राध्यापक अब सीएम डॉ.मोहन यादव से आस लगाए हैं, क्योंकि वे पूर्व में उच्च शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।

अरसे से पदोन्नति नहीं

मध्यप्रदेश में राज्य सरकार के 16 और 3 स्वशासी विश्वविद्यालय हैं। जिनसे 570 शासकीय कॉलेज संबद्ध हैं। इन कॉलेजों में शिक्षण व्यवस्था संभालने वाले असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों को एक अरसे से पदोन्नति नहीं दी गई। चार साल पहले यानी शिवराज सरकार के दौरान प्रोफेसरों की पदोन्नति की कार्रवाई शुरू हुई थी। इसके लिए विभाग ने प्रस्ताव बुलाए थे। तब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव थे, जो अब प्रदेश के मुखिया हैं। प्रोफेसरों की पदोन्नति की फाइल उच्च शिक्षा विभाग पहुंची थी जिसमें प्रदेश भर के शासकीय कॉलेजों के 700 प्रोफेसरों के नाम थे। इसमें शामिल असिस्टेंट प्रोफेसरों को एसोसिएट और एसोसिएट प्रोफेसरों को प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति दी जानी थी। विभाग में इसको लेकर कार्रवाई भी शुरू हुई लेकिन फिर फाइल दबकर रह गई।

ये खबर भी पढ़ें...

अफसर-नेताओं ने तिरंगा से बनाई दूरी, CS-DGP ने तो वॉट्सऐप पर डीपी भी नहीं बदली

कॉलेजों की शिक्षा व्यवस्था में होगा सुधार

सरकारी कॉलेजों में वर्षों से असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में छात्रों को पढ़ा रहे प्राध्यापक लंबे समय से पदोन्नति और पदनाम की मांग करते आ रहे हैं। इसको लेकर अलग-अलग संगठनों के माध्यम से पत्र भी उच्च शिक्षा विभाग भेजे जाते रहे हैं। यह मामला पूर्व मंत्री के साथ ही वर्तमान उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के संज्ञान में भी लाया गया है। इसके बावजूद विभाग या मंत्रालय में दबी पदोन्नति की फाइल आगे नहीं बढ़ सकी है। पदनाम की आस लगाए बैठे प्राध्यापकों का कहना है पदोन्नति का लाभ केवल 700 लोगों को ही नहीं मिलेगा। इससे उच्च शिक्षा व्यवस्था भी लाभान्वित होगी। कॉलेजों में उच्च पद और पदनाम मिलने से शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी और यूजीसी से मिलने वाले अनुदान में भी इजाफा होगा। यानी पदोन्नति के सहारे कॉलेजों के ग्रेड में भी सुधार होगा। वहीं विभागीय जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग प्राध्यापकों की पदोन्नति की फाइल को हरी झंडी दे चुका है। वहीं इसे मुख्य सचिव कार्यालय की स्वीकृति का इंतजार है।

ये खबर भी पढ़ें...

मध्य प्रदेश के पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को वीरता के लिए मिलेगा राष्ट्रपति सम्मान, देखें पूरी लिस्ट

तो कॉलेजों में बढ़ जाएंगी पीएचडी सीट

प्राध्यापकों के संगठन के अनुसार संभवतया सरकार आर्थिक भार की आशंका के चलते पदोन्नति के मामले में पीछे हट रही है। जबकि पदोन्नत कर असिस्टेंट से एसोसिएट और एसोसिएट से प्रोफेसर बनाने पर वेतनमान में  केवल दो से तीन हजार ही बढ़ेंगे। यानी सरकार को ऐसा करने पर ज्यादा वित्तीय भार नहीं उठाना पड़ेगा। लेकिन इसका व्यापक असर कॉलेजों में अध्यापन और  रिसर्च के काम पर होगा। यूजीसी द्वारा कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर को चार, एसोसिएट प्रोफेसर को छह और प्रोफेसर को आठ पीएचडी सीट आवंटित की हैं। यानी पदनाम मिलने पर और अधिक सीट कॉलेजों के हिस्से में आएंगी। इससे पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी और असर पूरे उच्च शिक्षा पर दिखेगा।

thesootr links

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

पदोन्नति सरकारी कॉलेज MP उच्च शिक्षा विभाग professor promotion प्रोफेसर पदोन्नति