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मध्य प्रदेश में अब कुलपति को कुलगुरु कहा जाएगा। यह बदलाव विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक के जरिए किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ है।
विधेयक को मिली मंजूरी
एमपी विधानसभा में मंगलवार को इस विधेयक को मंजूरी मिली, जिसके तहत प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपति का नाम बदलकर कुलगुरु किया जाएगा। मंत्री परमार ने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति के अनुसार यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी।
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पहले ही कैबिनेट से मिल चुकी है मंजूरी
बता दें कि इसके पहले, डॉ. मोहन यादव की कैबिनेट ने मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 के जरिए मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 में बदलाव की मंजूरी दी थी। इसके अंतर्गत कुलपति के पदनाम को बदलकर कुलगुरु किया गया। इसके बाद यह संशोधन विधेयक विधानसभा सत्र में पेश किया गया और पारित कर दिया गया।
सीएम मोहन यादव ने क्या कहा था?
गौरतलब है कि कुलपति को कुलगुरु कहे जाने के लिए प्रस्ताव जुलाई 2024 में पास हो गया था। जुलाई की शुरुआत में सीएम मोहन यादव ने कहा था कि मध्य प्रदेश के लोगों के कल्याण और सभी को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए सरकार की ओर से जरूरी फैसले लिए जा रहे हैं। इस क्रम में विश्वविद्यालयों में कुलपति को कुलगुरु का संबोधन देने का फैसला लिया गया है। इस संबोधन में आत्मीयता, स्नेह और सम्मान का भाव है।
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अब मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपति का नया नाम "कुलगुरु" होगा, जिससे भारतीय संस्कृति और शिक्षा नीति का सम्मान बढ़ेगा।
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