BHOPAL. मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट सबके सामने है। अमरवाड़ा में सबसे प्रभावशाली चेहरा समझे जाने वाले और 3 बार के कांग्रेस विधायक रह चुके कमलेश शाह फिर विधायक बनने में सफल हो गए हैं। इस सीट पर विधायक वही है बस पार्टी बदल गई है। राउंड दर राउंड दिलचस्प मुकाबले में अचानक पासा पलटा और आखिरी राउंट में बीजेपी के कमलेश शाह ने जीत दर्ज की। इसके साथ ही बीजेपी ने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट पर कब्जा कर लिया।
निर्णायक भूमिका में आदिवासी वोट बैंक
छिंदवाड़ा के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा निर्णायक भूमिका आदिवासियों की होती है। आदिवासी आरक्षित सीट अमरवाड़ा में एक बड़ा तबका आदिवासी वोट बैंक का है। ऐसे में कमलेश शाह आदिवासी समाज के सबसे वरिष्ठ माने जाते रहे हैं। आदिवासी वोट बैंक कमलेश शाह के साथ रहा है। उन्होंने पिछले 3 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराया था। पिछले चुनाव में भी उन्होंने बीजेपी की प्रत्याशी मोनिका बट्टी को मात दी थी। ऐसे में कमलेश शाह के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को यहां पर आदिवासी वोट बैंक को साधने में दिक्कतों का सामना पड़ा।
इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस और गोंगपा से तीनों आदिवासी प्रत्याशी थे। बीजेपी ने कमलेश शाह को अपना प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने धीरन शाह इनवाती को टिकट देते हुए भरोसा जताया था। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी यानी गोंगपा ने देव रावेन भलावी को उम्मीदवार बनाया।
इस चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट धीरन शाह इनवाती को 79 हजार 736 वोट मिले जबकि बीजेपी के कमलेश शाह को 82 हजार 998 वोट मिले। बीजेपी के कमलेश शाह को 83105 वोट मिले हैं। इसके अलावा नोटा को भी यहां 3403 वोट मिले हैं।
गोंगपा ने कैसे कांग्रेस का खेल बिगाड़ा ?
ऐसा माना जा रहा है कि गोंगपा की एंट्री से कांग्रेस का खेल बिगाड़ गया। राजनीतिक जानकारों अमरवाड़ा में कांग्रेस की हार की बड़ी वजह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को भी मानते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमरवाड़ा में कांग्रेस को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जमकर नुकसान पहुंचाया है क्योंकि आमतौर पर गोंगपा कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंधमारी करती है। जानकार कहते हैं कि कमलनाथ और कांग्रेस गोंगपा का खतरा भांप नहीं पाए। छिंदवाड़ा में कमलनाथ का एक छत्र राज रहा है। अब पराभव का सिलसिला शुरू हो गया है।
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राजघराने से आते हैं कमलेश शाह
अमरवाड़ा से चौथी बार विधायक बनने वाले कमलेश शाह हर्रई राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता का नाम उग्र प्रताप शाह हैं। 21 मार्च 1972 को जन्में कमलेश शाह ने 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद राजनीति में किस्मत अजमाई। और पहली बार 2013 में विधायक बने। शाह की मां भी कांग्रेस से विधायक रह चुकी थी। उनकी पत्नी माधवी शाह नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर रह चुकी हैं।
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