अब ग्वालियर- चंबल सहित प्रदेशभर में खुल रही LN मालवीय के फर्जीवाड़े की कलई

एलएन मालवीय इंफ्रा कंपनी पर जबलपुर में EOW द्वारा केस दर्ज होने के बाद अब प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में कंपनी के फर्जीवाड़े की परतें खुल रही हैं। कंपनी और अफसरों से गठजोड़ की पड़ताल कर द सूत्र एक- एक कहानी सामने ला रहा है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. अफसरों से सांठगांठ कर सरकारी ठेकों हासिल करने वाले एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की कारस्तानियां पूरे प्रदेश में फैली हुई हैं। कंपनी पर जबलपुर में EOW द्वारा केस दर्ज होने के बाद अब प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों में भी मालवीय के फर्जीवाड़े की परतें खुल रही हैं। इनकी शिकायतों के सामने आने के बाद ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में भी कंपनी पर केस दर्ज होने से कंपनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जोड़तोड़, फर्जी बैलेंस शीट और एक्सपर्ट पैनल के सहारे ठेके हथियाने वाले एलएन मालवीय इंफ्रा केवल चंद साल में ही 3 हजार करोड़ की आसामी बन गई है। 

कंपनी और अफसरों से गठजोड़ की पड़ताल

कंपनी के फर्जीवाड़े और सरकारी विभागों में बैठे अफसरों से उसके गठजोड़ की पड़ताल कर द सूत्र एक- एक कहानी सामने ला रहा है। कंपनी को चंद सालों में विभागों में कैसे एक के बाद करोड़ों के काम मिलते रहे। बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच कैसे एलएन मालवीय इंफ्रा सरकारी टेंडरों में बाजी मारती रही। किन विभागों में कंपनी की घुसपैठ है इससे भी पर्दा उठा रहा है। 

कंपनी अफसरों से करोड़ों के ठेके हासिल करती थी और उसके लिए कैसे टेंडर की शर्तों को शिथिल किया जाता था ये भी जान लीजिए। साल 2015 में प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज और विदिशा, शहडोल, रतलाम जिला अस्पतालों के उन्नयन के लिए टेंडर जारी किए गए थे। इसके लिए 10 कंसल्टेंट फर्मों ने बिड में हिस्सा लिया था। इनमें एलएन मालवीय इंफ्रा भी शामिल थी। इसमें फर्म केएनवाय प्रोजेक्ट, एकेए कंसल्टेंट्स इंडिया और एलएन मालवीय इंफ्रा को अनुभव के आधार पर 150 अंक मिले। इसके आधार पर केएनवाय का स्कोर 130.50, एकेए कंसल्टेंट्स का स्कोर 135 और एलएन मालवीय इंफ्रा का स्कोर 127.5 रहा। 

वहीं कंसल्टेंट बिजनेस के लिए केएनवाय को 50 अंक और स्कोर 42.50 मिले जबकि एकेए कंसल्टेंट्स और एलएन मालवीय इंफ्रा का स्कोर 50-50 अंक के साथ 50-50 रहा। यानी मार्किंग और स्कोरिंग में एलएन इंफ्रा दोनों प्रतिस्पर्धी फर्मों से आगे नहीं थी। यदि अनुभव में स्कोरिंग की बात करें तो एकेए और केएनवाय फर्म का स्कोर उससे ज्यादा था। वहीं कंसल्टेंट बिजनेस में एकेए और एलएन मालवीय इंफ्रा बराबर थे। इसके बावजूद ये काम एलएन मालवीय इंफ्रा को सौंपे गए। इसे इस चार्ट से भी समझा जा सकता है। 

मेडिकल कॉलेज और विदिशा, शहडोल और रतलाम जिला अस्पताल का अपग्रेडेशन टेंडर में स्कोरिंग

स्कोरिंग/ कंपनी   मे. केएनवाय प्रोजेक्ट प्रा.लि मे. एकेए कंसल्टेंट्स इंडिया प्रा.लि. मे.  एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि.
अंक         स्कोर अंक         स्कोर अंक         स्कोर
एक्सपीरियंस स्कोर 150        130.50 150         135 150          127.5
कंसल्टेंट बिजनेस 50          42.50 50            50 50             50


कंपनी पर आखिर किसकी है मेहरबानी

एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट ने दो साल में सरकारी विभागों में कैसे अपनी घुसपैठ बनाई और उसे ही क्यों करोड़ों के प्रोजेक्ट मिलते रहे। इस सवाल के जवाब को समझने के लिए द सूत्र ने टेंडर प्रक्रिया में आए दिन शामिल होने वाली फर्मों के लोगों से बात की। बातचीत में साफ हुआ कि दिखने में भले ही टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन है लेकिन टेंडर के लिए अफसरों के सहयोग की जरूरत तो होती ही है। क्योंकि टेंडर के लिए जो जरूरी दस्तावेज, अनुभव प्रमाण पत्र, बैलेंस शीट, एक्सपर्ट पैनल की पड़ताल अफसर ही करते हैं। यदि वे आपत्ति दर्ज कराते हैं तो फर्म कितनी ही अनुभवी हो टेंडर में उसका पास होना मुश्किल होता है। इसी के सहारे एलएन मालवीय की कंपनी ठेका हथियाने की करामात करती रही। इसमें पीडब्लूडी, एपीआरआरडीए, आरडीसी, पीएचई, एमपीयूएडीडी और जल संसाधन विभाग के अफसर उसके मददगार बने। इनमें से कुछ अफसरों के नामों का उपयोग तो कंपनी का कर्ताधर्ता एलएन मालवीय दूसरे विभागों में साख जमाने में भी करता रहा है।

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डेव्लपमेंट बैंक के अफसरों का मिला साथ

हजारों करोड़ रुपए के ठेकों की कंसल्टेंसी लेने के लिए एलएन मालवीय इंफ्रा की मदद एनडीबी यानी नेशनल डेव्लपमेंट बैंक के अफसरों ने भी की थी। बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स के लिए एनडीबी भारी- भरकम फंडिंग करती है। सरकारी प्रोजेक्ट के लिए अफसर इसी बैंक से राशि जुटाते थे। प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग के बदले में बैंक के अफसर ने एलएन मालवीय की मदद से नेटवर्क खड़ा किया था। अफसरों ने भी बड़ी फंडिंग के लालच में एलएन मालवीय की कंपनी को कंसल्टेंट का काम दिया। यानी एलएन मालवीय सरकारी विभाग और एनडीबी के लिए दोहरे गेटवे की तरह काम करता था। इसी से उसके संबंध भी मजबूत होते चले गए और कुछ ही साल में एलएन मालवीय ने अपनी कंपनी को प्रदेश की सबसे बड़ी कंसल्टेंसी कंपनियों के बराबरी पर पहुंचा दिया। 

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सरकारी ठेका लेने में बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ा

एलएन मालवीय इंफ्रा के खिलाफ पुल और सड़कों के टेंडर लेने का फर्जीवाड़ा उजागर होने पर बीते सप्ताह EOW ने जबलपुर में केस दर्ज किया है। इसके बाद अब प्रदेश भर में उसके ठेकों की परतें खुलने लगी हैं। दस्तावेजों के फर्जीवाड़े की शिकायतों पर इन अंचलों में भी कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराए जा सकते हैं। एलएन मालवीय की कंपनी ने स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग के लिए इंदौर अंचल में 94 भवन, भोपाल अंचल में 33 भवन, सागर क्षेत्र में 94 भवन, जबलपुर- बालाघाट और छिंदवाड़ा में 68 हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल और चार कन्या छात्रावासों के निर्माण में कंसल्टेंसी दी है। कंपनी ने भिंड जिले में 251 करोड़ के निर्माण कार्यों में एसक्युसी पैकेज का काम भी किया है। सीहोर, भोपाल, देवास, शाजापुर में स्टेट हाइवे-41, नीमच में स्टेट हाइवे-30, मंडला- पिंडरई, स्लीमनाबाद- विलायतकला रोड, धनेता- सहजपुर, बिछिया- डिंडोरी रोड, बैलखाडू- सरोंड रोड, सुरैया- सिंगोरी रोड जैसे बड़े प्रोजेक्ट भी कंपनी हथिया चुकी है। इसके अलावा भी हजारों- करोड़ों के निर्माण कार्यों के लिए भी यह कंपनी कंसल्टेंसी सेवाएं दे चुकी है।  कंपनी का टर्न ओवर साल 2012-13 में सवा 5 करोड़ था जो अगले दो वित्त वर्षों में 30 करोड़ हो गया था। साल 2015 के बाद अब तक यानी 9 साल में कंपनी का टर्नओवर अब 300 करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है।

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