मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा अब तक नहीं हो पाई है। पार्टी के भीतर कई कारण हैं जिनकी वजह से इस पद पर नई घोषणा में देरी हो रही है। इन कारणों को समझना जरूरी है, ताकि आप जान सकें कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और आंतरिक राजनीति में क्या चल रहा है।
रेस में कई दिग्गज
दरअसल, जानकारों की मानें तो, बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले आंतरिक राजनीति, क्षेत्रीय संतुलन और अन्य नेताओं के बीच सहमति बनाना जरूरी होता है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए पार्टी के भीतर अलग-अलग दिग्गज नेताओं जैसे नरोत्तम मिश्रा, फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, और अन्य नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा बताई जा रही है। इन नेताओं के समर्थक अपने-अपने पक्ष में लॉबिंग कर रहे हैं, जिससे एक समान सहमति बनाने में समय लग रहा है।
क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश
बीजेपी जैसे बड़े संगठन में, जहां राष्ट्रीय राजनीति और राज्य स्तर की राजनीति का संतुलन रखना जरूरी होता है, वहां यह सुनिश्चित करना कि किसी भी खास नेता की नियुक्ति से क्षेत्रीय संतुलन न बिगड़े, एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। पार्टी के अल-अलग गुटों के बीच संतुलन बनाने की प्रक्रिया ही इस फैसले में देरी का कारण बन रही है।
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धर्मेंद्र प्रधान का प्रभाव
मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दी गई है। हालांकि, उनके व्यस्त कार्यक्रम के कारण अभी तक वह मध्य प्रदेश के दौरे पर नहीं आ सके हैं। इस वजह से यह फैसला आगे बढ़ रहा है। बीजेपी की रणनीति शायद यह है कि सही समय का इंतजार किया जाए, ताकि किसी भी फैसले से पार्टी की रणनीति को नुकसान न हो।
वी.डी. शर्मा का कार्यकाल
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल काफी सफल रहा है, और पार्टी ने हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व बिना जल्दबाजी के, सही समय पर सही नेता की नियुक्ति करना चाहता है।
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जल्द हो सकती है घोषणा
कई जानकारों का कहना है कि मार्च 2025 के लास्ट तक मध्य प्रदेश बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। हालांकि, यह भी सच है कि यह फैसला तब तक स्पष्ट नहीं होगा जब तक केंद्रीय नेतृत्व और धर्मेंद्र प्रधान सक्रिय रूप से प्रक्रिया में शामिल न हों।
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