मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र अबकी बार केवल 5 दिन तक ही चल पाया। दरअसल सोमवार 1 जुलाई से शुरू हुआ विधानसभा सत्र शुक्रवार देर शाम अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। पिछले 20 साल में एक बार भी बजट सत्र तय अवधि तक नहीं चल सका है।
शुक्रवार यानी 5 जुलाई को भी बजट पर चर्चा हुई, जिसके बाद विपक्ष की आपत्तियों के बाद अनुदान मांगों के बाद बजट पारित कर दिया गया। शाम को स्पीकर ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
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इस साल हुई थीं सबसे अधिक बैठकें
2011 में कुल प्रस्तावित 40 में से 24 बैठकें हुई थीं। 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद जून-जुलाई में हुए बजट सत्र में 37 में से 18 बैठकें हुईं थीं। वहीं 2015 में कुल 24 में से सिर्फ 7 बैठकें हुईं।
लगातार सत्रों की अवधि भी घटती रही है। 2004 में 37 बैठकों के सत्र की तुलना में 2024 में जुलाई सत्र महज 14 बैठकों का था। बजट सत्र में विभिन्न प्रस्ताव आने के बाद विधायक अपने सुझाव देते हैं। बीच में ही सत्र खत्म होने से विधायक अपनी बात नहीं रख पाते।
विपक्ष के विधायकों को नहीं मिला बोलने का मौका
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि विपक्ष पर हंगामा कर सदन नहीं चलने देने के आरोप लगाए जाते हैं। विपक्ष ने इस बार सदन में हंगामा किया, लेकिन सदन चलने में असहयोग नहीं किया। इसके बाद भी विधायकों को बोलने का मौका नहीं
19 जुलाई तक प्रस्तावित था बजट सत्र
दरअसल विधानसभा 1 से 19 जुलाई तक प्रस्तावित इस सत्र में कुल 14 बैठकें होनी थीं। 2004 के बाद से 20 सालों में ये सबसे छोटा बजट था। इससे पहले 2022 और 2023 में 13-13 बैठकों के बजट सत्र रखे गए थे।
ये भी तय अवधि तक नहीं चल सके थे। साल 2020 में जब कमलनाथ सरकार संकट में थी, तब मार्च में रखा गया 17 बैठकों का बजट सिर्फ 2 बैठकों में ही खत्म हो गया था।
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