BHOPAL. लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते ट्रांसफर के इंतजार में बैठे सरकारी कर्मचारियों की आस जल्द पूरी हो सकती है ( MP Transfer )। माना जा रहा है कि आचार संहिता हटने के बाद डॉ.मोहन यादव की अगुआई वाली मध्यप्रदेश सरकार कैबिनेट बैठक करेगी। इसी में ट्रांसफर पर मुहर लग सकती है। ( MP Transfer News )
मध्यप्रदेश सहित देशभर में 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू की गई थी। यह 4 जून तक जारी रहेगी। फिर जून के दूसरे हफ्ते यानी 10 से 15 जून के बीच मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मानसून दस्तक दे देगा। लिहाजा, बारिश के बीच सरकार ट्रांसफर करने से बचती है। इस बार मौसम विभाग ने भी मानसून समय पर आने का पूर्वानुमान जताया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि 4 जून से 10 जून के बीच सरकार थोकबंद ट्रांसफर की हरीझंडी दे सकती है।
क्या पॉलिसी में होगा बदलाव?
आपको बता दें कि पिछली शिवराज सरकार के समय 15 जून से 30 जून के बीच ट्रांसफर से प्रतिबंध हटाया गया था। शिवराज कैबिनेट ने नई ट्रांसफर पॉलिसी भी जारी की थी। अब देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव पुरानी पॉलिसी में कोई बदलाव करेंगे या फिर पिछली शिवराज सरकार की नीति को ही आगे बढ़ाया जाएगा।
क्या थी पुरानी तबादला नीति
आइए, अब आपको 2023 की ट्रांसफर पॉलिसी बताते हैं। पिछली सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी 15 जून से 30 जून तक के लिए लागू की गई थी। इसमें जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ट्रांसफर हो सकते थे। वहीं, जिले के बाहर और विभागों में तबादलों पर मुख्यमंत्री की अनुमति की जरूरत होती थी। पिछली तबादला नीति के हिसाब से 201 से 2000 तक के संवर्ग में 10 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं हो सकते थे, जबकि किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं किए जा सकते थे।
एक ही जिले में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलेगी
पिछली तबादला नीति को देखें तो जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से ट्रांसफर हो सकते थे। इसी के साथ राज्य संवर्ग में विभाग के अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तबादले सीएम के अनुमोदन (अप्रूवल) से सामान्य प्रशासन विभाग जारी करता था। हालांकि अभी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दिया है। ऐसे में यह नियम कितना लागू होगा, इस पर कोई स्पष्ट मत नहीं है।
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बड़े अधिकारियों के तबादले सीएम की सहमति से
पिछली तबादला नीति के अनुसार, सभी विभागों के स्टेट कैडर के विभागाध्यक्ष और सरकारी उपक्रमों एवं संस्थाओं में पदस्थ प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (चाहे वे किसी भी पदनाम से जाने जाते हों) के ट्रांसफर आदेश में मुख्यमंत्री की अनुमति जरूरी होती थी। वहीं, राज्य कैडर के बाकी प्रथम श्रेणी अधिकारी, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर (जिले के भीतर किए जाने वाले ट्रांसफर को छोड़कर) मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद प्रशासकीय विभाग जारी करता था। ( lok sabha election 2024 )
उच्च स्तर पर भी होगी प्रशासनिक सर्जरी
दूसरा, लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासन और पुलिस महकमें में उच्च स्तर के अधिकारियों के भी थोकबंद तबादले किए जाएंगे। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के पहले भी सरकार ने बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे। कई अफसरों को मंत्रालय में बिना विभाग बैठाया गया था तो कई अधिकारियों की जिम्मेदारी में फेरबदल किया गया था।
200 कर्मचारी वाले संवर्ग में 20% ही तबादले संभव
शिवराज सरकार की नीति के तहत 200 कर्मचारियों की संख्या वाले संवर्ग में 20 फीसदी, 201 से दो हजार की संख्या होने पर 10 प्रतिशत और दो हजार से ज्यादा संख्या होने पर 5 फीसदी तबादले किए जाने का नियम है।
स्कूल शिक्षा विभाग में तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की व्यवस्था की गई थी।
3 साल तक नहीं होगा कोई तबादला
2023 में सरकार ने तय किया था कि नई शिक्षा नीति में एक बार स्वैच्छिक स्थानांतरण होने के बाद विशेष परिस्थिति छोड़कर 3 साल तक तबादला नहीं किया जा सकेगा। यह भी निर्णय हुआ था कि कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन न हो जाए।
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