परख सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा: हर चौथा बच्चा परेशान, मन की बात सुनने वाला कोई नहीं

आजकल शिक्षा में बच्चों की शारीरिक और मानसिक भलाई पर जोर दिया जा रहा है। "परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024" के अनुसार, हर चौथा छात्र अकेलेपन और उदासी का सामना कर रहा है, जो स्कूलों में संवाद की कमी और भावनाओं की अनदेखी से बढ़ रहा है।

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Manya Jain
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आजकल शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों की शारीरिक और मानसिक भलाई पर जोर दिया जा रहा है। स्कूलों में पढ़ाई और उपस्थिति के आंकड़े तो आ रहे हैं, लेकिन बच्चों के दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा।

यह स्थिति आजकल और भी गहरी होती जा रही है, और यह जरूरी हो गया है कि हम बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें।

"परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024" के अनुसार, प्रदेश के हर चौथे छात्र को स्कूल में अकेलापन और उदासी का सामना करना पड़ता है। स्कूलों में संवाद की कमी और भावनाओं की अनदेखी इस समस्या को और बढ़ाती है।

😟 अकेलेपन का अनुभव

सर्वे के अनुसार, बच्चों को अकेला महसूस करने की समस्या बढ़ती जा रही है। यह सिर्फ किसी एक राज्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सर्वेक्षण प्रदेश के 5 हजार 739 स्कूलों, 17 हजार 696 शिक्षकों और 1,38,526 छात्रों पर आधारित था। 

लगभग 25% छात्र यह मानते हैं कि जब वे परेशान होते हैं, तो कोई उनसे बात नहीं करता। यह अकेलापन बच्चों के मानसिक विकास में एक बड़ी रुकावट बन सकता है। खासकर तब जब उनके शिक्षक भी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हों।

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📚 शिक्षक की भूमिका

शिक्षक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन, सर्वे में सामने आया है कि 30% शिक्षक मानते हैं कि बच्चों की भावनाओं को समझना उनकी जिम्मेदारी नहीं है।

यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक मुद्दों पर चर्चा करना और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देना शिक्षक की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होनी चाहिए।  

📱 डिजिटल साधनों का प्रभाव

आजकल बच्चों के पास स्मार्टफोन, टैबलेट, और लैपटॉप जैसे डिजिटल साधन हैं, लेकिन उनके पास सही दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन की कमी है।

65% बच्चों के पास स्मार्टफोन होते हैं, और 59% बच्चे इंटरनेट का उपयोग कर पाते हैं, लेकिन फिर भी उनका सही उपयोग नहीं हो पाता।

बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन और मदद देने के लिए स्कूलों में संवाद स्थापित करने की जरूरत है।

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🏫 करियर गाइडेंस का अभाव

सर्वे में यह भी सामने आया कि 61% स्कूलों में करियर गाइडेंस है, लेकिन यह शिक्षा में बच्चों की सही दिशा तय करने में मदद नहीं कर पा रहा है।

यह बेहद महत्वपूर्ण है कि बच्चों को सही करियर विकल्पों के बारे में जागरूक किया जाए।

⚽ खेल और शारीरिक गतिविधियों का महत्व

शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल बेहद जरूरी हैं, और यही वजह है कि 98% स्कूलों में स्पोट्र्स की व्यवस्था है।

लेकिन, अनुभव की कमी के कारण बच्चे इस क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस कमी को दूर करने के लिए स्कूलों को अधिक रचनात्मक तरीके से खेलों को पेश करना चाहिए।

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🧠 मेंटल हेल्थ: एक्सपर्ट की राय

डॉ. रश्मि मोघे हिरवे, एक काउंसलर और साइकोलॉजिस्ट, कहती हैं कि बच्चों का अकेलापन देखकर नजरें फेरना खतरनाक हो सकता है।   

उनका कहना है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। वे सुझाव देती हैं कि माता-पिता और शिक्षक बच्चों से संवाद बढ़ाएं और उन्हें अकेलेपन से उबारने के लिए ग्रुप एक्टिविटी जैसे "प्लेडेट्स" का आयोजन करें।

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