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मध्य प्रदेश कांग्रेस ने जमीनी स्तर की राजनीतिक को मजबूत करने के लिए 16 अगस्त को संगठनात्मक बदलाव किया। पार्टी ने सभी 71 संगठनात्मक जिलों में अध्यक्ष की घोषणा की, जिनमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के अध्यक्ष शामिल हैं। इसके बाद से ही पार्टी के अंदर विरोध के सुर देखने को मिल रहे हैं।
राज्य में कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने ही जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर नाराजगी दिखाते हुए विरोध कर रहे हैं। कई जिले से इस्तीफे की भी खबर है।
जिला अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद विरोध
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को गुना जिले का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद विरोध देखने को मिला है। वहीं, राघोगढ़ के आरोन में जयवर्धन सिंह के जिला अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी (Jitu Patwari) का पुतला फूंका गया है। इस दौरान जीतू पटवारी के खिलाफ नारे भी लगाए गए हैं।
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कार्यकर्ताओं का कहना है कि जयवर्धन सिंह की लोकप्रियता काफी ज्यादा है। ऐसे में उनके लिए यह अनुचित है। बता दें कि, नए जिला अध्यक्षों को बनाए जाने को लेकर दबे जुबान में विरोध देखने को मिल रहा है।
इसके अलावा सतना, गुना और बुरहानपुर के अलावा राज्य के अलग-अलग जगहों पर नए जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
लिस्ट में सीएम रेस में शामिल नेता को भी मौका
जिला अध्यक्ष की नियुक्ति ऐसे नेता को भी मिला है, जो 2023 एमपी इलेक्शन के दौरान आदिवासी सीएम फेस की रेस में शामिल थे। जिनका नाम ओमकार सिंह मरकाम है। उन्हें डिंडौरी से जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
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दो मुस्लिम नेताओं को भी मिला मौका
जिला अध्यक्ष नियुक्ति पत्र में दो मुस्लिम नेताओं को भी शामिल किया गया है। पन्ना और सतना शहर में मुस्लिम नेता को जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
चार महिलाओं को भी मिला मौका
कांग्रेस ने 71 जिला अध्यक्षों की लिस्ट में केवल चार महिला को शामिल किया है, जिसमें आगर-मालवा से विजयलक्ष्मी तंवर, खंडवा शहर से प्रतिभा रघुवंशी, नरसिंहपुर से सुनीता पटेल और सिंगरौली ग्रामीण से सरस्वती सिंह मरकाम को मौका मिला है।
आदिवासी सीट पर कांग्रेस का प्लान-बी
बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की ओर से आदिवासी सीट पर हमेशा गैर आदिवासी नेता को मौका मिलता रहा है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक के सारे पद आदिवासी लोगों के लिए आरक्षित रहते हैं। ऐसे में पार्टी संगठन के पद पर गैर आदिवासी नेता को मौका देती है। ताकि, 35 से 40 फीसदी गैर आदिवासी वोट बैंक को भी साधा जा सके।
पार्टी ने आदिवासी सीट पर गैर आदिवासी नेताओं को जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है, इसमें डिंडोरी में विधायक ओमकार सिंह मारकम और मंडला में पूर्व विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले को मौका मिला है।
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प्रमुख सीट पर कांग्रेस ने दी खास को कमान
- इंदौर शहर: चिंटू चौकसे
- इंदौर ग्रामीण: विपिन वानखेड़े
- भोपाल शहर: प्रवीण सक्सेना
- सतना शहर: आरिफ इकबाल सिद्दीकी
- भोपाल ग्रामीण: अनोखी मानसिंह पटेल
- उज्जैन शहर: मुकेश भाटी
छह मौजूदा विधायक को भी मिला मौका
- गुना: जयवर्धन सिंह (विधायक)
- उज्जैन ग्रामीण: महेश परमार (विधायक)
- बालाघाट: संजय उईके (विधायक)
- डिंडौरी: ओमकार सिंह मरकाम (विधायक)
- सतना ग्रामीण: सिद्धार्थ कुशवाह (विधायक)
- कटनी शहर: अमित कुमार शुक्ला
- रायसेन: देवेन्द्र पटेल (विधायक)
11 पूर्व विधायकों को भी मिला मौका
- अलीराजपुर: मुकेश पटेल
- कटनी शहर: कुंवर सौरभ सिंह
- मंडला: डॉ अशोक मर्सकोले
- नरसिंहपुर: सुनीता पटेल
- राजगढ़: प्रियव्रत सिंह
- रतलाम ग्रामीण: हर्ष विजय गहलोत
- बैतूल : निलय डागा
- जबलपुर ग्रामीण: संजय यादव
- बुरहानपुर ग्रामीण: रविंद्र महाजन
- पांढुर्णा: जतन उईके
- इंदौर ग्रामीण: विपिन वानखेड़े
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