कांग्रेस कार्यकारिणी गठन की पहली सूची से नेताओं की नाराजगी के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश मंगलवार रात को नई सूची जारी कर दी है। इसमें इंदौर से कमेटी में शामिल किए गए नेताओं की सूची से नजर आ रहा है कि इसके जरिए पटवारी ने अरविंद बागड़ी को शहराध्यक्ष बनाने का रास्ता साफ कर दिया है।
दूसरी सूची में इन्हें दिया गया पद
पॉलिटिकल अफेयर कमेटी में - बाला बच्चन, सज्जन सिंह वर्मा
सचिव - इंदौर से अमन बजाज, अभय वर्मा, अनुरोध ललित जैन, दीपक (पिंटू) जोशी, रीना बौरासी, विनितिका यादव शामिल
संयुक्त सचिव- जोहर मानपुरवाला
अनुशासन कमेटी- शेख अलीम
जीतू की दूसरी कार्यकारिणी में मिली थी जिम्मेदारी, फिर भी दिया इस्तीफा
बागड़ी के लिए इस तरह रास्ते किए साफ
शहराध्यक्ष पद की दावेदारी में पिंटू जोशी, अमन बजाज, अरविंद बागड़ी, दीपू यादव का नाम खासी चर्चा में हैं। विनय बाकलीवाल भी फिर से बनना चाहते हैं। लेकिन पहली सूची में बाकलीवाल को जनरल सेक्रेटरी बनाकर शांत कर दिया गया। अब इस सूची में पिंटू और अमन बजाज को सचिव बना गया। दीपू की पत्नी विनितिका को भी सचिव पद दे दिया गया। इस तरह तीन बड़े नाम को छांटा गया। दावेदारों में सबसे आगे और लगभग इकलौते अरविंद बागड़ी बच गए।
बजाज ने दौड़ में बनाए रखने दिया इस्तीफा
अमन बजाज ने खुद को शहराध्यक्ष की दौड़ में बनाए रखने के लिए तत्काल प्रभाव से सचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेशाधय्क्ष जीतू पटवारी को उन्होंने नए लोगों को अवसर देने के नाम पर पद रिक्त करने की बात कही और इस्तीफा दे दिया है। ताकि एक व्यक्ति एक पद के तहत वह शहराध्यक्ष की दौड़ में बने रहे।
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बाकी नाम कमेटी में क्यों आए
पहली सूची के बाद कई नेता नाराज थे, इसमें सज्जन सिंह वर्मा भी थे जिन्हें पहली सूची में केवल परमानेंट इनवाइटीज में रखा गया था। उनके रिश्तेदार अभय वर्मा को भी सचिव बनाया गया है। शेख अलीम भी नाराज थे उन्हें अनुशासन समिति में जगह दी गई। पिंटू ने पद नहीं मांगा लेकिन शहराध्यक्ष का रास्ता साफ करने के लिए पद दिया गया, इसी तरह रीना बौरासी को समायोजिति किया जो सांवेर विधानसभा से लड़ी थी। उधर पूर्व मंत्री ललित जैन के बेटे अनुरोध जैन को भी पद दिया गया है, इनका नाम हाल ही में एमजीएम की किंग एडवर्ड बिल्डिंग में हुई हैलोवीन पार्टी में सामने आया था। हालांकि उन्होंने पार्टी में शामिल होने से इंकार किया था।
बागड़ी पर ही क्यों टिक रही नजरें
बागड़ी के लिए जीतू पटवारी अभी नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव 2023 के पहले भी लगे हुए थे। जब बागड़ी को हटाया गया तब कई लोगों ने शहराध्यक्ष की लॉबिंग की, लेकिन पद मिला बागड़ी को। लेकिन उनके पद पर आते ही फूलछाप कांग्रेसी (जो बीजेपी नेताओं से जुड़े हो) के नारे लगे और उनका जमकर विरोध हुआ, उनके खिलाफ पुरानी कॉलोनियों में जमीन की गड़बड़ी की शिकायतें भी हुईं, जिनकी अभी तक जांच जारी है। हालत यह हुई कि एक ही दिन में उन्हें होल्ड कर दिया गया और बाद में सुरजीत सिंह चड्ढा शहराध्यक्ष बन गए। एक बार फिर अब जब चड्ढा की विदाई तय हो रही है तब बागड़ी को पद देने का मंच सजाया जा रहा है।
बागड़ी का क्यों होता रहा है विरोध
दरअसल बागड़ी अग्रवाल समाज से जुड़े हुए हैं और खजराना गणेश मंदिर में भी सक्रिय रहते हैं। वह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ कई मंचों पर साथ में शिरकत करते नजर आए हैं और उनके व पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय के भी करीबी माने जाते रहे हैं। इसी के चलते बीते विधानसभा चुनाव में विधानसभा तीन से उन्हें टिकट नहीं मिला था। बीजेपी नेताओं के करीबी होने के चलते उन्हें फूलछाप कांग्रेसी की उपमा दी गई है। इसी नारे के चलते शहराध्यक्ष पद वह एक बार गंवा चुके हैं। लेकिन अब उनके साथ पद के दावेदारों को अन्य जगह सैटल करके पटवारी ने एक बार फिर उनके लिए पद देने की रणनीति अपनाई है। जिसमें वह अब सफल होते नजर आ रहे हैं।
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