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मध्य प्रदेश में अब डायल-100 की जगह डायल-112 से फर्स्ट रिस्पॉन्स व्हीकल (एफआरवी) की पहचान की जाएगी। यह कदम यूरोपीय देशों की तर्ज पर उठाया जा रहा है, जो पहले ही अपनी इमरजेंसी सेवाओं को एक समान और सुविधाजनक बनाने के लिए डायल-112 का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है कि लोग इमरजेंसी नंबर याद रखने की परेशानी से बच सकें।
डायल-112 से जुड़ी एफआरवी सेवा
नई एफआरवी सेवा में जब कोई व्यक्ति डायल-100 करता है, तो उसकी कॉल सीधे डायल-112 के कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगी। वहां से जरूरत के हिसाब से मेडिकल इमरजेंसी या फायर ब्रिगेड की कॉल को डायवर्ट किया जा सकेगा। यह कदम मध्य प्रदेश में इमरजेंसी सेवा को और भी बेहतर और तेज बनाने के लिए उठाया गया है।
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1 हजार 200 नई एफआरवी से बढ़ेगी रिस्पॉन्स टाइम की गति
मध्य प्रदेश सरकार ने 55 जिलों के लिए 1 हजार 200 नई एफआरवी का टेंडर जारी किया है। इससे न केवल पुराने वाहनों की जगह नए वाहन आएंगे, बल्कि एफआरवी की संख्या में भी 200 की बढ़ोतरी होगी। यह कदम इमरजेंसी मामलों में पुलिस की पहुंच को तेज और प्रभावी बनाने के लिए है। वर्तमान में एक हजार एफआरवी को मौके पर पहुंचने में 30 मिनट तक का समय लग जाता है। नई व्यवस्था में शहरी इलाकों में यह समय 15 मिनट से भी कम होगा, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसे 20-25 मिनट से घटाकर 15-20 मिनट किया जाएगा।
एफआरवी सेवा के भविष्य पर खतरा
हालांकि, वर्तमान में एफआरवी सेवा उधारी पर चल रही है। पिछले 5 महीने से कंपनी को भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण भारत विकास ग्रुप (बीवीजी) ने सरकार को 50 करोड़ रुपए का बकाया भुगतान करने का रिमाइंडर भेजा है। कंपनी ने चेतावनी दी है कि बिना भुगतान और एक्सटेंशन के आगे वाहन संचालन संभव नहीं होगा। यदि 31 मार्च तक कोई फैसला नहीं हुआ, तो डायल-100 के पहिए पूरी तरह से थम सकते हैं, जो इमरजेंसी सेवाओं के लिए बड़ा संकट होगा।
अब तक एफआरवी सेवा की स्थिति
अब तक, 8.70 करोड़ कॉल आ चुकी हैं, जिनमें से 1.88 करोड़ लोगों तक एफआरवी पहुंची। इनमें से 18.76 लाख महिलाओं को मदद मिली है और 11.89 लाख हादसों में एफआरवी मौके पर पहुंची। यह आंकड़े एफआरवी सेवा की प्रभावशीलता को दर्शाते हैं, लेकिन सेवा के सुचारु रूप से चलने के लिए भुगतान और व्यवस्था की स्थिरता जरूरी है।
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