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Photograph: (thesootr)
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही थी, जिसने मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया था। Deepesh Patel @Deepeshpatel87 नाम की एक आईडी से किए गए इस पोस्ट में दावा किया गया था कि मध्यप्रदेश सरकार ने डायल 100 की जगह डायल 112 (dial 112) योजना के लिए 1200 नई गाड़ियां खरीदी हैं, जिसमें एक बड़ा घोटाला हुआ है। द सूत्र ने 14 सितंबर की खबर में उक्त वायरल पोस्ट को लेकर स्पेशल डीजी संजीव शमी से बात की तो उन्होंने इसे झूठा और दुर्भावना से प्रेरित बताया था।
अगले दिन उसी हैंडिल से एक और पोस्ट की गई, इस पोस्ट में पहले की गई पोस्ट के लिए माफी मांगी है। Deepesh Patel @Deepeshpatel87 नाम की एक आईडी से किए गए इस पोस्ट में लिखा है कि-
जन संपर्क विभाग ने बताया कि इसका कुल टेंडर 972 करोड़ का है। और यह गाड़ियां खरीदी नहीं गई हैं, बल्कि किराए पर ली गई है।
बोलेरो- 32 हजार रुपए महीना
स्कार्पियो- 36 हजार रुपए महीना
और यह पांच साल के लिए लिया गया है।
अत मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
जनसंपर्क विभाग ने बताया कि इसका कुल टेंडर 972 करोड़ का है ।
— Deepesh Patel (@Deepeshpatel87) September 14, 2025
और यह गाड़ियां खरीदी नहीं गई है बल्कि किराए पर ली गई हैं।
बोलेरो – 32 हजार महीना
स्कॉर्पियो – 36 हजार महीना
और यह पांच वर्षों के लिए लिया गया है
अतः इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं https://t.co/aUHo2kYsvH
जनसंपर्क विभाग ने किया फेक्ट चेक
सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा डायल 112 के तहत खरीदी गई गाड़ियों को लेकर भ्रामक और असत्य जानकारी शेयर की जा रही है।
— Jansampark Fact Check (@JansamparkFC) September 14, 2025
वास्तविक एवं तथ्यपूर्ण जानकारी इस प्रकार है...#FactCheck@MPPoliceDeptt@mohdept@DGP_MPpic.twitter.com/PFsn8PcbIF
ये था मामला...
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसने मध्यप्रदेश की राजनीति और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। Deepesh Patel @Deepeshpatel87 नाम की एक आईडी से किए गए इस पोस्ट में दावा किया गया है कि मध्यप्रदेश सरकार ने डायल 100 की जगह डायल 112 योजना के लिए 1200 नई गाड़ियां खरीदी हैं, जिसमें एक बड़ा घोटाला हुआ है।
दीपेश पटेल की पोस्ट में कहा गया है कि सरकार ने इन गाड़ियों को बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदा है, जिससे कुल मिलाकर 1500 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। यह दावा विशेष रूप से एक स्कॉर्पियो गाड़ी की कीमत 1 करोड़ रुपए से अधिक होने पर फोकस है।
एक्स पर जैसे ही यह पोस्ट किया गया, वैसे ही डायल 112 वाहन खरीद मामले ने राजनीतिक और सार्वजनिक बहस को बढ़ा दिया है। विपक्षी दल ने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जबकि सरकार के समर्थक इसे दुष्प्रचार बता रहे हैं।
इस पूरे मामले में मध्यप्रदेश पुलिस के स्पेशल डीजी आईपीएस संजीव शमी ने इस दावे को पूरी तरह से झूठा और दुर्भावनापूर्ण (malicious) बताया था। उनका कहना है कि ये दावे जनता को गुमराह करने के लिए फैलाए जा रहे हैं और इनमें कोई सच्चाई नहीं है।
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क्या है सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट का सच?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं...
- दावा 1: मध्यप्रदेश पुलिस ने डायल 100 की जगह अब 112 कर दी है, जिसके लिए 1200 नई गाड़ियां खरीदी गई हैं।
- दावा 2: इन 1200 गाड़ियों में 600 स्कॉर्पियो और 600 बोलेरो शामिल हैं।
- दावा 3: जो गाड़ियां 30 से 40 लाख रुपए में आ जाती हैं, सरकार ने उन्हें 1 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत पर खरीदा है।
- दावा 4: 1200 गाड़ियां खरीदने पर कुल 1500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिससे प्रति गाड़ी की कीमत 1 करोड़ से अधिक हुई है।
इन दावों पर स्पेशल डीजी संजीव शमी ने द सूत्र के सवालों के जवाब में कहा है कि यह जानकारी पूरी तरह से गलत है और इसे जानबूझकर गलत इरादे से फैलाया जा रहा है।
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स्पेशल डीजी संजीव शमी ने बताई यह बात
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावों को झुठलाते हुए स्पेशल डीजी संजीव शमी ने बताया कि पूरी परियोजना की कुल निविदा (total tender) राशि लगभग 972 करोड़ रुपए है, न कि 1500 करोड़ रुपए।
उन्होंने द सूत्र को स्पष्ट किया कि एमपी डायल 112 के लिए सरकार ने सभी वाहनों को किराए पर लिया है। बोलेरो और स्कॉर्पियो वाहनों के किराए की दर क्रमशः 32,000 और 36,000 रुपए प्रति माह रखी गई है।
इसके साथ ही लगभग 5000 कर्मचारियों के साथ 1200 एफआरवी (फास्ट रिस्पांस व्हीकल) का संचालन और रखरखाव किया जाएगा। इस परियोजना का कुल अनुमानित बजट लगभग 972 करोड़ रुपए है, जिसमें से 719.75 करोड़ रुपए केवल बेड़े के संचालन और रखरखाव पर खर्च किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त, राज्य कमांड सेंटर के लिए 78.5 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है, जिसमें 500 से अधिक कर्मचारियों के लिए डेस्कटॉप और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। आईटी अवसंरचना, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और रखरखाव पर लगभग 174 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।