नीतिगत फैसलाः अगले चुनाव तक एकल ग्राम नल जल योजना की मरम्मत करेगा पीएचई, सीएम ने खत्म कराया विवाद

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एकल ग्राम नल जल योजना की मरम्मत के लिए पीएचई विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए सरकार ने हर साल 1000 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश में एकल ग्राम नल जल योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव सरकार ने नीतिगत फैसला किया है। इसके तहत अब प्रदेश में एकल ग्राम नल जल योजना की मरम्मत का काम पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग) विभाग करेगा। इसके लिए सरकार ने प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला किया है।

बता दें कि प्रदेश में मल्टी विलेज नल जल योजना को लेकर विभागों के काम के बीच बंटवारा साफ-साफ है, लेकिन एकल ग्राम नल जल योजना में काम को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। इस वजह से आए दिन पंचायत विकास विभाग और पीएचई विभाग में मामला झूलता रहता है।

सीएम के सामने ही हुई दो विभागों में खींचतान

दोनों विभाग में तनातनी भी देखने को मिलती है जो सीएम डॉ.मोहन यादव के सामने भी देखने को मिली। जहां एक ओर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने कहा कि पंचायत से जुड़े काम पंचायत विकास विभाग को ही मिलने चाहिए।

दूसरी तरफ, पीएचई के प्रमुख सचिव पी नरहरि ने कहा कि पंचायत काम नहीं कर पा रहा है। एकल ग्राम योजना बंद पड़े हैं। यदि योजना को सुचारू रूप से चलाना है तो इसे पीएचई विभाग को सौंप देना चाहिए। इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने कहा कि संविधान के 73वें संशोधन कहता है कि पंचायत ही सारे काम करेगी। इसलिए उनके पंचायतों को ही सारे काम करने देने चाहिए।

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सीएम ने पीएचई को सौंपा 3 साल तक काम 

इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने फैसला किया कि अगले 3 साल तक एकल ग्राम नल जल योजना में मरम्मत का काम पीएचई विभाग ही देखेगा। इसके लिए हर साल 1000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसका मतलब है कि इस काम के लिए पीएचई विभाग को 3 साल में 3 हजार करोड़ रुपए का बजट मिलेगा।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग को दिए गए कार्य -

जल आपूर्ति प्रणाली का रख-रखाव: नलकूप, स्त्रोत, राइजिंग मेन, टंकी, डिस्ट्रिब्यूशन लाइन जैसे महत्वपूर्ण जल स्रोतों का रख-रखाव एजेंसी के जरिए करवाना।

ग्राम पंचायत को सहयोग: योजना के संचालन में पंचायतों को योजना ऑपरेटर द्वारा मदद करना।

चयनित ऑपरेटर का भुगतान: पंचायत द्वारा चुने गए ऑपरेटर को एजेंसी के माध्यम से अनुबंध के अनुसार पारिश्रमिक का भुगतान करवाना।

नियमित निगरानी: जल आपूर्ति की व्यवस्था में बेंचमार्क का नियमित रूप से निरीक्षण किया करना।

जल गुणवत्ता परीक्षण: प्रयोगशाला में जल की गुणवत्ता की नियमित जांच करना।

नवाचारों का लागू करना: जल आपूर्ति प्रणाली में नई तकनीकों और सुधारों को लागू करना।

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ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को दिए गए कार्य - 

योजना की देखरेख और सुरक्षा: पंचायत या ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति योजना की संपत्तियों की सुरक्षा और देखरेख करना।

जल आपूर्ति की निगरानी: योजना का संचालन और जल आपूर्ति व्यवस्था पर ध्यान रखना।

ऑपरेटर का चयन: जल आपूर्ति व्यवस्था चलाने के लिए पंचायत एक ऑपरेटर का चयन करना।

जल शुल्क का संग्रहण: पंचायत जल शुल्क इकट्ठा करना, जो जल आपूर्ति के खर्च को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होता है।

बिजली के बिलों का भुगतान: जल आपूर्ति व्यवस्था के लिए जो बिजली की खपत होती है, उसके बिल का भुगतान करना।

जल गुणवत्ता की जांच: एफटीके के जरिए जल की गुणवत्ता की नियमित जांच करना।

ऑपरेटर को प्रोत्साहन राशि: यदि पंचायत चाहे तो जल शुल्क संग्रहण करने वाले ऑपरेटर को प्रोत्साहन राशि देना।

जनभागीदारी बढ़ाने के प्रयास: पंचायत और समिति जनभागीदारी बढ़ाने के लिए प्रयास करना, ताकि अधिक लोग योजना में भाग लें।

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