प्रदेश के कर्मचारियों ने 23 मार्च को राज्य सरकार के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल में 32 हजार स्थाई कर्मचारियों, 28 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों और 55 हजार अंशकालीन कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए कार्यस्थल पर काम बंद रहेगा। कर्मचारी मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के नेतृत्व में सातवें वेतनमान का लाभ, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण और अंशकालीन कर्मचारियों को कलेक्टर रेट का वेतन देने की मांग कर रहे हैं।
हड़ताल का नोटिस
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने शुक्रवार को राज्य सरकार को हड़ताल का नोटिस सौंपा। इस नोटिस में कर्मचारियों की तीन प्रमुख मांगें रखी गईं हैं। मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे के नेतृत्व में यह प्रतिनिधि मंडल सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहा है। हड़ताल का मुख्य कारण यह है कि कर्मचारियों को लंबे समय से उनका हक नहीं मिला है और सरकार उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज कर रही है।
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सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिला
मध्य प्रदेश में वर्ष 2016 में स्थाई कर्मचारियों के लिए योजना लागू की गई थी, लेकिन नौ साल से अधिक समय बीतने के बावजूद सातवें वेतनमान का लाभ इन्हें नहीं दिया गया है। यह कर्मचारियों के लिए निराशाजनक स्थिति है, क्योंकि राज्य सरकार ने न केवल कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी की है, बल्कि उच्च न्यायालय के आदेशों का भी पालन नहीं किया है।
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कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं हुआ
इसके साथ ही 28 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को अब तक नियमित नहीं किया गया है, जिससे उनके रोजगार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। इन कर्मचारियों का जीवन पहले से ही कठिन है, और नियमितीकरण की प्रक्रिया में देरी उनकी चिंता को और बढ़ा रही है।
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अंशकालीन कर्मचारियों की मांग
इसी तरह 55 हजार अंशकालीन कर्मचारियों को कलेक्टर रेट का वेतन देने की मांग की जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि उनका योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना स्थाई कर्मचारियों का, इसलिए उन्हें उचित वेतन मिलना चाहिए।
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मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने की योजना
इस हड़ताल के दौरान, कर्मचारी भोपाल के आंबेडकर जयंती मैदान में धरना देंगे और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे। कर्मचारियों का उद्देश्य अपनी मांगों को शीघ्र पूरा करवाना है और वे इस मामले में जल्द से जल्द एक सकारात्मक समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।