मध्य प्रदेश के मंत्रालय में कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नया कदम उठाया है। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी पदोन्नति पर रोक लगी हुई है और इसके खिलाफ उन्होंने सुंदरकांड का पाठ करने का फैसला लिया है। यह आयोजन 4 मार्च को मंत्रालय स्थित मंदिर प्रांगण में होगा
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पदोन्नति की मांग पर विरोध
मंत्रालय के कर्मचारियों का कहना है कि पदोन्नति (Promotion) बंद होने के कारण बाहर से अधिकारियों और कर्मचारियों को मंत्रालय में रखा जा रहा है। हाल ही में वित्त सेवा के अधिकारियों को मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी और सहायक अनुभाग अधिकारी के पदों पर नियुक्त किया गया है। इस निर्णय के खिलाफ कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।
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आंदोलन की वजह और मांगें
कर्मचारी पदोन्नति और चौथा समयमान वेतनमान (Fourth Time-bound Pay Scale) देने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के समान पेंशन ( Pension ) की पात्रता 25 साल की सेवा के बाद देने की भी मांग उठाई जा रही है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक (Sudhir Nayak) का कहना है कि छोटे-छोटे कार्यालयों के कर्मचारियों को चौथा समयमान मिल चुका है, लेकिन मंत्रालय के कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के दिशानिर्देश सभी विभागों में लागू होते हैं।
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सरकार से उम्मीदें और विरोध की प्रतिक्रिया
कर्मचारी पहले भी मंत्रालय में सीधी भर्ती के माध्यम से पदों को भरने की तैयारी के खिलाफ नारेबाजी (Protest) कर चुके हैं। इसके बावजूद सरकार ने पदोन्नति ( Promotion ) के नियम निरस्त करने के बाद समयमान के साथ उच्च पदनाम देकर समस्या का हल निकालने की कोशिश की थी, लेकिन मंत्रालय में यह अभी तक लागू नहीं किया गया।
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भारत और राज्य सरकार की पेंशन नीति में अंतर
भारत सरकार के कर्मचारी 25 साल की सेवा (25 Years of Service) के बाद पूरी पेंशन की पात्रता प्राप्त करते हैं, जबकि मध्यप्रदेश में यह सीमा 33 साल है। कर्मचारियों ने इस नियम में संशोधन की मांग की है। यदि सरकार इस पर कदम नहीं उठाती है तो कर्मचारियों ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है।
सुंदरकांड का पाठ: एक नई रणनीति
इन सभी मांगों की पूर्ति के लिए अब मंत्रालय में सुंदरकांड का पाठ (Sundarkand Reading) किया जाएगा। यह आयोजन सरकार पर दबाव बनाने की एक नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।