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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. मध्य प्रदेश में रबी सीजन की फसलों में सिंचाई का दौर शुरू हो गया है। इसके साथ ही सरकार के वादे और बिजली कंपनियां की करगुजारियों के बीच किसान उलझे नजर आ रहे हैं।
सरकार की घोषणा के बाद बिजली कंपनियां 10 घंटे बिजली देने का दावा कर रही हैं। वहीं किसान आए दिन तय समय से कम, वोल्टेज के उतार चढ़ाव और अघोषित कटौती की शिकायत करते भटक रहे हैं।
बिजली कंपनी के दावों की हकीकत जानने के लिए 'द सूत्र' की टीम ने अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों के बीच पहुंची। किसानों से सरकार की घोषणा के बाद रबी सीजन की फसलों में सिंचाई और इसके लिए बिजली आपूर्ति के संबंध में बात की। इस दौरान सामने आया कि सरकार की घोषणा और दावे भले किए जा रहे हैं, लेकिन किसानों तक निर्बाध बिजली नहीं पहुंच रही है।
बिजली की आंखमिचौली से बेबस किसान
किसान इन दिनों गेहूं, चना, मसूर, तेवड़ा, बटरा, मटर जैसी फसलों की सिंचाई में लग गया है। ऐसे में किसानों का दिन और रात खेतों पर ही बीत रहा है। वजह है बिजली की आंखमिचौली। बिजली कंपनियों ने सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली देने का आदेश जारी किया है।
सरकार भी इसका वादा करती आ रही है। इसके बावजूद ग्रामीण अंचल में हकीकत कुछ और ही है। एक तो तय 10 घंटे बिजली मिल पाना सपने जैसा है। उस पर बार–बार बिजली गुल हो जाती है या लाइन में फॉल्ट की समस्या सामने आ जाती है।
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वोल्टेज घटने-बढ़ने से जल रही मोटरें
वोल्टेज का उतार–चढ़ाव भी खेतों में सिंचाई कर रहे किसानों का मजाक उड़ाता नजर आ रहा है। अचानक वोल्टेज घटने या तेज होने से किसानों के सिंचाई पंप, ट्यूबवेल खराब हो रहे हैं। इसके कारण किसानों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, उनकी सिंचाई का काम भी अटक जाता है।
बिजली कटौती से नाराज किसान
मध्य प्रदेश लगातार कृषि कर्मण अवॉर्ड हासिल कर रहा है। यह अवॉर्ड प्रदेश के किसानों की जी तोड़ मेहनत का नतीजा है। इसके बाद भी किसानों को अपनी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने के लिए बार-बार सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
अघोषित बिजली कटौती से परेशान किसान अब अपनी नाराजगी जताने के लिए सड़कों पर जाम लगा रहे हैं। एक दिन पहले ही राजगढ़ जिले के किसान बिजली कटौती पर हाईवे जाम कर अपना आक्रोश दिखा चुके हैं।
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बिजली कंपनियां का कटौती का खेल
किसानों का कहना है, सरकार की घोषणा के बाद भले ही बिजली कंपनियों ने 10 घंटे बिजली देने का आदेश जारी किया है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा। गांवों में कभी 5–7 घंटे बिजली आती है, तो कभी घंटे–घंटे भर में ही गुल होती रहती है।
जिन किसानों पर खुद के साधन नहीं हैं और मजदूर लगाकर सिंचाई कराते हैं उन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसानों का कहना है, बिजली कंपनी अघोषित रूप से कटौती करती हैं। इसके जरिए बिजली कंपनी के अधिकारी रिकॉर्ड में तो पूरी सप्लाई दर्शाते हैं, लेकिन मिलती नहीं है।
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कृषि कर्मण अवॉर्ड दिलाने वाला अन्नदाता बेहाल
मध्य प्रदेश में किसानों की संख्या 1 करोड़ से अधिक है, जिसमें 38.91 लाख सीमांत किसान और 24.49 लाख लघु किसान शामिल हैं। प्रदेश की लगभग 72-73% आबादी कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद सरकार की घोषणा धरातल पर नहीं उतर रही हैं।
सीएम मोहन यादव की घोषणा के बाद भी प्रदेश के गरीब किसानों को 5 रुपए में सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन नहीं मिले हैं। किसान सोलर पैनल के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
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