मध्यप्रदेश के जंगल इन दिनों संकटों का सामना कर रहे हैं। अवैध कटाई, अतिक्रमण और आग जैसी समस्याओं की वजह से प्रदेश का वन क्षेत्र तेजी से घट रहा है। वर्ष 2021 की तुलना में प्रदेश के वन आवरण में 371.54 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है। यह आंकड़े फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट से सामने आए हैं, जिसे केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हाल ही में जारी किया है।
2023 की रिपोर्ट के आंकड़े
रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटा गया है
1.बहुत घना जंगल: 7,021.31 वर्ग किमी
2. सामान्य घना जंगल: 33,508.64 वर्ग किमी
3. खुला जंगल: 36,543.49 वर्ग किमी
इन सभी को मिलाकर राज्य में कुल वन क्षेत्र 77,073.44 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन 2021 के मुकाबले इस क्षेत्र में 371.54 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है।
हर साल पौधारोपण के बावजूद क्यों घट रहा वन क्षेत्र?
मध्यप्रदेश सरकार हर साल 10 से 15 करोड़ पौधे लगाने का दावा करती है, लेकिन वन क्षेत्र में लगातार हो रही कमी बताती है कि पौधारोपण का असर जमीन पर नहीं दिख रहा है। अवैध कटाई, आग और अतिक्रमण जैसे कारणों से जंगलों की स्थिति और बिगड़ती जा रही है।
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देश के वन क्षेत्र की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश का वन और वृक्ष आवरण लगभग 7,15,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) है। इसमें से वृक्ष आवरण 1,12,014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) है। 2021 की तुलना में देश के वन और वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है।
वन क्षेत्र में बढ़ोतरी वाले राज्यों की सूची में
छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में वन क्षेत्र बढ़े हैं।
क्षेत्रफल की दृष्टि से MP का स्थान
हालांकि वन क्षेत्र में कमी के बावजूद, मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा वनावरण वाला राज्य है।
मध्य प्रदेश: 77 हजार 073 वर्ग किमी
अरुणाचल प्रदेश: 65 हजार 882 वर्ग किमी
छत्तीसगढ़: 55 हजार 812 वर्ग किमी
सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य
देश में कुल भूभाग के अनुपात में सबसे अधिक वनावरण लक्षद्वीप (91.33%), मिजोरम (85.34%), और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह (81.62%) में है।
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