/sootr/media/media_files/2025/07/08/government-advocate-appointment-reservation-issue-2025-07-08-13-24-27.jpg)
मध्य प्रदेश महाधिवक्ता कार्यालय ने 1956 के बाद पहली बार सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों को लेकर विज्ञापन तो जारी कर दिया है, लेकिन यह विज्ञापन कई सवालों के घेरे में आ गया है। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे एकपक्षीय, अपारदर्शी और सामाजिक न्याय की भावना के खिलाफ करार दिया है।
पहली बार विज्ञापन, लेकिन बिना आरक्षण नीति के
महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा 7 जुलाई को अपनी वेबसाइट पर एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी एडवोकेट जनरल, गवर्नमेंट एडवोकेट और डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट जैसे अहम पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।
2013 के पुराने फार्मेट के आधार पर मांगे गए इन आवेदनों की अंतिम तारीख 18 जुलाई तय की गई है। लेकिन न तो इसमें रिक्त पदों की संख्या बताई गई है और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को कोई प्रतिनिधित्व मिलेगा या नहीं।
महाधिवक्ता को ही चयन का पूरा अधिकार
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया है कि इस चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। महाधिवक्ता को ही सभी नामों का चयन कर विधि विभाग को तीन नामों की सूची भेजने का अधिकार है, और उसके बाद किस आधार पर इनमें से किसी एक को चुना जाएगा, इसका कोई कानूनी उल्लेख नहीं है। इससे चयन प्रक्रिया पूरी तरह से व्यक्तिगत सिफारिशों और अंदरूनी समीकरणों पर आधारित होने का संदेह गहराता है।
खबर यह भी...MP में 27% OBC आरक्षण क्यों अटका, SC ने जिस इंद्रा साहनी केस की बात कही, उसका कितना असर
लंबे समय से चल रही न्यायिक लड़ाई
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन पिछले पाँच वर्षों से इस मुद्दे पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों में कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका (SLP(C)16512/2022) अब भी विचाराधीन है, जिसमें मध्य प्रदेश सरकार ने शपथ पत्र दाखिल कर यह स्वीकार किया है कि वह शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में किसी भी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए बाध्य नहीं है।
पंजाब समेत पांच राज्यों में लागू, MP में नहीं
एसोसिएशन का कहना है कि पंजाब सहित देश के पाँच राज्यों में पहले से ही सभी वर्गों के लिए प्रतिनिधित्व के प्रावधान किए गए हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में लगातार ओबीसी, एससी, एसटी और महिलाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।
खबर यह भी...मध्य प्रदेश में तीन जातियों को मिल सकता है OBC का दर्जा, जानें कौन-कौन हैं शामिल
सरकार और महाधिवक्ता कार्यालय पर उठे सवाल
एसोसिएशन का आरोप है कि मध्य प्रदेश शासन का विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग समय-समय पर सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने के लिए परिपत्र जारी करते रहे हैं, लेकिन महाधिवक्ता कार्यालय इन निर्देशों को लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। जब इस मुद्दे को प्रदेश के प्रमुख सचिव और महाधिवक्ता के समक्ष उठाया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि यदि हाईकोर्ट आदेश देगा, तभी आरक्षण लागू किया जाएगा।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢
🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
जबलपुर महाधिवक्ता कार्यालय | मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता | Mp latest news | मध्य प्रदेश समाचार | Jabalpur News | jabalpur news mpOBC Advocates Welfare Association SC-ST