MP Government Employees: मध्य प्रदेश में नौ सालों से बंद पड़ी सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन की प्रोसेस फिर से शुरू कर दी है। विधि एवं विधायी विभाग (Law and Legislative Affairs Department) ने 125 से अधिक कर्मचारियों को एक जनवरी 2024 से वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण से जुड़े मामले पर अंतिम निर्णय आने तक ये पदोन्नतियां शर्तों के अधीन रहेंगी।
पदोन्नति पर लगी रोक हटने से खुला रास्ता
मई 2016 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 को रद्द कर दिया था। इसके बाद सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मामला लंबित रहने के कारण प्रदेश में प्रमोशन रोक दी गए थे। इससे हजारों कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए। अब विभाग ने 125 कर्मचारियों को प्रमोट किया है जिससे अब कर्मचारियों के प्रमोशन की राह साफ होती नजर आ रही है।
हाई कोर्ट के आदेश से खुला रास्ता
विधि एवं विधायी विभाग के कर्मचारियों ने प्रमोशन न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने भर्ती नियम 2010 के प्रवधानों के आधार पर प्रमोशन देने के आदेश दिए। इसके बाद विभाग ने कर्मचारियों को पदोन्नति के साथ आर्थिक लाभ भी दिया।
सभी विभागों में लागू हो सकता है नियम
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यह नियम अन्य सरकारी विभागों में भी लागू किया जा सकता है। कर्मचारी संगठनों ने लंबे समय से प्रमोशन की मांग की थी। सरकार ने भी इस दिशा में कई प्रयास किए। सरकार ने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मंत्री समिति का गठन किया था। समिति ने कानूनी सलाह के बाद पदोन्नति का समर्थन किया। इससे अब अन्य सरकारी विभागों में भी कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने की संभावना बढ़ गई है।
टाइम और पे स्केल से निकलेगा रास्ता
मंत्रालयीन अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक का कहना है कि समयमान वेतनमान (टाइम और पे स्केल) देकर पदनाम बदलने से समस्या हल हो सकती है। इससे कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन और पदनाम दोनों मिल सकते हैं। हालांकि यह पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगी। सरकार इस पर आगे की रणनीति कोर्ट के फैसले के आधार पर तय करेगी।
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