मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा सत्र के बाद राज्य के साढ़े चार लाख कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। कर्मचारी संगठन ने अपनी प्रमुख मांगों को लेकर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से हस्तक्षेप की अपील की है। साथ ही कर्मचारी संगठन ने नेता प्रतिपक्ष को 09 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपकर चेतावनी दी है। यदि सरकार ने इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो कर्मचारियों की हड़ताल राज्य में सरकारी कार्यों को ठप कर सकती है।
संगठन ने नेता प्रतिपक्ष से सौंपा ज्ञापन
दरअसल, मध्य प्रदेश के शासकीय कर्मचारी और संविदा आउटसोर्स कर्मचारी 10 मार्च से होने वाले विधानसभा सत्र के बाद अपनी प्रमुख 9 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश के संयुक्त कर्मचारी संगठन ने ग्वालियर में नेता प्रतिपक्ष से ज्ञापन सौंपकर विधानसभा सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण में उनकी मांगों को उठाने के लिए निवेदन किया है। साथ ही उमंग सिंगार ने भी उनकी मांगों को उठाने का आश्वासन दिया है। इस हड़ताल का असर राज्य सरकार की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर पड़ेगा।
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मध्य प्रदेश कर्मचारी संगठन की 9 सूत्रीय मांगें
- पदोन्नति प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए।
- गृह भाड़ा भत्ते (HRA) का पुनरीक्षण सातवें वेतनमान के तहत किया जाए।
- सभी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता (DA) दिया जाए।
- पेंशनरों के लिए धारा 49 (6) का बंधन खत्म किया जाए।
- 35 वर्ष की सेवा के बाद सहायक शिक्षकों को चतुर्थ क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाए।
- नवीन शिक्षक संवर्ग को नियुक्ति से वरिष्ठता दी जाए।
- आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
- शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए बीएड पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
- अगस्त से दिसंबर में सेवानिवृत्त होने पर एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाए।
हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे कर्मचारी
संगठन के प्रमुख सुनील पटेरिया का कहना है कि कर्मचारियों की 52 सूत्रीय मांगों में से ये 9 प्रमुख मांगें सरकार के ध्यान में लानी जरूरी हैं। प्राथमिकता के आधार पर 9 प्रमुख मांगों को लेकर नेता प्रतिपक्ष को ज्ञापन सौंपा है। यदि सरकार इन मांगों को नहीं मानेगी, तो राज्यभर के कर्मचारी हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे।
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