विश्वनाथ सिंह@INDORE
सरकार और डॉक्टरों के बीच बार–बार बात होने के बावजूद सबकुछ ठीक नहीं हो रहा है। इसी से नाराज इंदौर सहित प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर गुरूवार से आंदोलन की राह पकड़ेंगे। इसमें वे काली पट्टी बांधकर ना केवल सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर करेंगे, बल्कि वे नकली दवाओं की होली भी जलाएंगे। इसी को लेकर बुधवार को मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ द्वारा अपना एजेंडा भी जारी कर दिया है। हालांकि, महासंघ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनके चार दिनी आंदोलन में किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य सुविधाएं बंद नहीं होंगी। डॉक्टर्स अपना आंदोलन लंच ब्रेक के दौरान जारी रखेंगे।
डॉक्टरों की नाराजगी का पूरा मामला
मप्र शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि दिसंबर 2024 में हाईकोर्ट ने निर्णय दिया था कि डॉक्टर बार-बार हड़ताल करते हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती हैं। ऐसे में एक महीने के दौरान सरकार एक हाई पावर कमेटी बनाए और इनकी समस्याओं का निराकरण करे। इसे दो महीने हो चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही 2023 की कैबिनेट में निर्णय पारित हुआ था डीएसीपी और जितने भी डॉक्टरों को 2016 से सातवां वेतनमान नहीं मिला है उसे दिया जाए, लेकिन यह भी अभी तक नहीं हो पाया है।
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प्रशासनिक अफसर करते हैं दखलअंदाजी
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों के नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की गणना गलत हो गई थी। इसको भी ठीक करके जारी किया जाए। साथ ही प्रशासनिक अफसरों की दखलअंदाजी काफी ज्यादा हो गई है। इसके कारण डॉक्टरों को अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है। पूरे मध्य प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नकली दवाईयां आ गई थीं तो शासन ने अभी तक उसके संबंध में कोई भी निर्णय नहीं लिया। कोलकाता की वीभत्स घटना के बाद भी महिला चिकित्सकों के सुरक्षा मानकों के लिए सुप्रीम कोर्ट और नेशनल टास्क फोर्स के दिशा–निर्देशों भी लागू नहीं कर रहे हैं।
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यह होगा चार दिन के आंदोलन में
डॉक्टरों के चार दिन के आंदोलन की शुरूआत 20 फरवरी से होगी। इसमें सबसे पहले दोपहर 1 से 1.30 बजे तक अस्पताल परिसर में ही काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करेंगे। 21 फरवरी को प्रदेश के चिन्हित अस्पतालों में अमानक दवाईयों की होली जलाई जाएगी। इसके बाद 22 फरवरी को काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने के साथ ही मुंह पर मास्क पहनकर सामूहिक चिकित्सक अवकाश रखेंगे। अगर फिर भी सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 24 फरवरी को प्रदेशभर के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े महासंघ से बात करके आंदोलन में आगे का निर्णय लिया जाएगा।
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