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BHOPAL. मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा हाल ही में लागू की गई जांच प्रक्रिया को लेकर उलझन खड़ी हो गई है। विभाग के ज्यादातर अफसर और इंजीनियर इस जांच प्रक्रिया और गाइडलाइन के विरोध में खड़े हो गए हैं। पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देश पर लागू की गई नई जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाकर अधिकारी-कर्मचारी इसे एक पक्षीय बता रहे हैं। प्रक्रिया को वापस लेने के लिए अब विभाग के तकनीकी अमले ने 4 मार्च से हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दे दी है।
विभागीय कामों की जांच के लिए नई गाइडलाइन
दरअसल, पीडब्ल्यूडी द्वारा विभागीय कामों की जांच के लिए नई गाइडलाइन लेकर आया है। विभागीय मंत्री राकेश सिंह की दिलचस्पी के बाद इसे लागू भी कर दिया गया है। इसके तहत हर महीने 5 और 20 तारीख को विभाग के मुख्य अभियंता एक-दूसरे के परिक्षेत्रों में निरीक्षण करेंगे। एक मुख्य अभियंता अपने कार्यक्षेत्र के बाहर दूसरे परिक्षेत्र में निर्माण की गुणवत्ता की जांच- परख करेंगे। निरीक्षण के बाद त्वरित रूप से काम की गुणवत्ता को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार तकनीकी अमले पर कार्रवाई भी त्वरित करने का प्रावधान किया गया है।
धड़ाधड़ निलंबन से नाराजगी
पीडब्ल्यूडी में निर्माण कार्यों की अधिकारी बदलकर रेंडम जांच कराने की प्रक्रिया इंजीनियरों पर भारी पड़ रही है। मंत्री राकेश सिंह के निर्देश के बाद मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी अपने दायरे के बाहर दूसरे परिक्षेत्रों में दौरा कर रहे हैं। इस दौरान निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की स्थिति पर उनकी रिपोर्ट के आधार पर धड़ाधड़ कार्रवाई भी हो रही है। इस वजह से पिछले कुछ समय में लगातार इंजीनियर निलंबित हुए हैं। इंजीनियरों का कहना है कि जांच के बाद उनके पक्ष और वास्तविक कारण का ब्यौरा जुटाए बिना रिपोर्ट तैयार होने से उनके विरुद्ध एकपक्षीय कार्रवाई हो रही है। इसलिए तकनीकी अमले में विभाग की इस व्यवस्था को लेकर नाराजगी है।
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नहीं बदली व्यवस्था तो होगी हड़ताल
विभाग की नई व्यवस्था से नाराज पीडब्ल्यूडी इंजीनियर एसोसिएशन ने विरोध शुरू कर दिया है। एसोसिएशन के सचिव नीरज पांडे का कहना है कोई भी कार्रवाई एकपक्षीय नहीं होनी चाहिए। मुख्य अभियंता परिक्षेत्र बदलकर निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करेंगे तो उन्हें जमीनी परिस्थितियों का पता कैसे लगेगा। व्यवस्था में संबंधित इंजीनियर या तकनीकी अधिकारी का पक्ष भी लिया जाना चाहिए। विभाग में अमले की कमी है। एक- एक इंजीनियर कई- कई साइटों की निगरानी कर रहा है। दोहरे_तिहरे दायित्वों के बावजूद त्रुटि की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर क्यों लादी जानी चाहिए। यदि विभाग एक पक्षीय कार्रवाई की व्यवस्था को बंद नहीं करता या उसमें जरूरी बदलाव नहीं लाता तो विभाग के इंजीनियर 4 मार्च से हड़ताल पर चले जाएंगे।
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तो प्रदेश भर में पिछड़ जाएंगे प्रोजेक्ट
इनदिनों प्रदेश में पीडब्ल्यूडी के सैंकड़ा भर से ज्यादा छोटे-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। भवन से लेकर सड़क जैसे कामों में पूरा अमला जुटा हुआ है। यदि गाइडलाइन से नाराज इंजीनियर 4 मार्च से हड़ताल पर जाते हैं तो इसका असर इन प्रोजेक्ट्स की रफ्तार पर पड़ेगा। हड़ताल की अवधि लंबी होने के कारण ये प्रोजेक्ट कुछ दिन से लेकर महीने- दो महीने या उससे ज्यादा समय तक पिछड़ सकते हैं। इसका खामियाजा भुगतने की आशंका से निर्माण एजेंसियां भी मुश्किल में हैं। हर प्रोजेक्ट्स में दर्जन भर मजदूरों से लेकर सैंकड़ों कर्मचारी लगते हैं। ऐसे में कुछ दिनों की देरी भी कंपनियों को लाखों रुपए का नुकसान करा सकती है।
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