जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर को कोर्ट की फटकार, HC ने हलफनामे में मांगा जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट ने स्थायी कर्मचारियों के वेतनमान के मामले में याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस पर सही जवाब नहीं आता है, तो प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भी मामले में प्रतिवादी बनाकर उन्हें पेश होने का आदेश दिया जा सकता है।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट।

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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर कैबिनेट के निर्देशों को मनाना, जल संसाधन विभाग सहित सरकार को भी भारी पड़ सकता है। क्योंकि इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस पर सही जवाब नहीं आता है, तो प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाकर उन्हें पेश होने का आदेश दिया जा सकता है।

जबलपुर हाईकोर्ट में जल संसाधन विभाग के महान नहर उप संभाग सीधी के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान पर भुगतान और बकाया रकम के भुगतान के लिए पूर्व में दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद भुगतान के आदेश जारी किए गए थे। भुगतान न होने पर कर्मचारियों के द्वारा अवमानना याचिका दायर की गई जिसमें सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ के द्वारा कैबिनेट के द्वारा दिए गए आदेश में किस्तों में भुगतान किए जाने की जानकारी कोर्ट को दी गई। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए इंजीनियर इन चीफ को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि क्या कैबिनेट हाईकोर्ट के फैसले में संशोधन कर सकती है। साथ ही कोर्ट ने चेतावनी दी है कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पक्षकार बनाने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश भी दिया जा सकता है।

स्थायी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतनमान पर भुगतान का मामला

मध्य प्रदेश के जल संसाधन विभाग महान नहर उप मंडल सीधी में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के रूप में वर्गीकृत हो जाने के बावजूद भी न्यूनतम वेतनमान 5200-20200 ग्रेड पर 1900 रुपए ग्रेड पेपर भुगतान किए जाने के लिए हाईकोर्ट में पूर्व में एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नंदिता दुबे के द्वारा इस याचिका पर अंतरिम आदेश 8 अगस्त 2023 को जारी करते हुए यह निर्देश दिए गए थे कि इस याचिका में मौजूद प्रतिवादियों को याचिकाकर्ताओं को स्थायी कर्मचारियों के रूप में वर्गीकृत किए जाने की दिनांक से बिना वेतन वृद्धि के न्यूनतम वेतनमान पर भुगतान किया जाए साथ ही याचिकाकर्ताओं के वर्गीकरण को ध्यान में रखते हुए बकाया वेतन के लिए भी उन्हें हकदार बताया था। उन्होंने इस भुगतान के लिए आदेश के बाद 3 महीने का समय दिया गया था।

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भुगतान न होने पर दायर की अवमानना याचिका

सीधी में महान नहर उप संभाग सीधी के दैनिक कर्मचारियों के द्वारा अगस्त 2023 में जारी न्यूनतम वेतनमान पर भुगतान किए जाने के आदेश पर जल संसाधन विभाग के द्वारा किसी भी प्रकार की भुगतान संबंधी प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने पर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई। जिसमें याचिकाकर्ताओं के द्वारा अगस्त 2023 में हुए आदेश के बाद भी भुगतान न किए जाने पर कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई, जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस द्वारकाधीश बंसल के द्वारा प्रतिवादियों को 7 दिन के अंदर भविष्य निधि के भुगतान किए जाने के लिए नोटिस जारी करने के आदेश जारी किए थे। जिस पर अगली सुनवाई में प्रतिवादियों की तरफ से अवमानना के आदेश के पालन के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया था। इस मामले में हुई पिछली सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग भोपाल के चीफ इंजीनियर को भी कोर्ट में पेश होने के आदेश जारी किए गए थे।

कैबिनेट के संशोधन पर जताई नाराजगी

इस याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता विनोद कुमार देवड़ा न्यायालय में मौजूद रहे जिस पर कोर्ट के द्वारा उनसे पूछा गया की भुगतान क्यों नहीं किया गया है?... जिस पर उन्होंने बताया कि पहली किस्त का भुगतान किया जा चुका है। इस पर कोर्ट ने पूछा की क्या किस्तों में भुगतान किए जाने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है, जिस पर मुख्य अभियंता के द्वारा बताया गया कि कैबिनेट के द्वारा तीन किस्तों में भुगतान किए जाने पर सहमति जताई गई है। इस जवाब पर कोर्ट के द्वारा नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग से पूछा गया है कि क्या कैबिनेट हाईकोर्ट के आदेशों को संशोधित कर सकती है।

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तीन दिनों में हलफनामा दाखिल करने के आदेश

इस अवमानना याचिका पर सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई जिसमें सुनवाई के दौरान उन्होंने मुख्य अभियंता ( इंजीनियर इन चीफ) को कैबिनेट के द्वारा उच्च न्यायालय के आदेशों में संशोधित किए जाने के सवाल पर प्रधान सचिव के द्वारा सत्यापित अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किए जाने के लिए तीन दिन का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि  जवाब प्रस्तुत न करने की स्थिति में प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भी पक्षकार बनाकर उन्हें  व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित किए जाने के निर्देश भी दिए जा सकते हैं। अब इस मामले की सुनवाई 6 मार्च 2025 को तय की गई है।

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