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मध्य प्रदेश (MP) में सरकारी नौकरी पाने के लिए दो बच्चों की पाबंदी 24 साल बाद खत्म होने वाली है। राज्य सरकार 26 जनवरी 2001 को लागू की गई इस पाबंदी को जल्द ही समाप्त करने जा रही है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, उच्चस्तरीय निर्देशों के बाद इस बदलाव को लागू करने की तैयारी तेज हो गई है। मोहन कैबिनेट में जल्द ही इस प्रस्ताव को लाया जाएगा और फिर से सरकारी नौकरी पाने का रास्ता तीसरी संतान वाले कर्मचारियों के लिए भी खोला जाएगा।
क्या होगा इस बदलाव के बाद?
शर्त खत्म होते ही, यदि किसी सरकारी कर्मचारी के पास तीसरी संतान है, तो उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकेगा। यही नहीं, जो कर्मचारी पहले तीसरी संतान के कारण कार्रवाई का सामना कर चुके हैं, उनका मामला फिर से नहीं उठेगा। उच्च स्तर पर की गई बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस शर्त को समाप्त कर दिया जाए। इस कदम से राज्य सरकार ने एक बड़ा बदलाव करने का मन बना लिया है।
तीसरी संतान से जुड़े केस होंगे समाप्त
नई व्यवस्था के तहत, तीसरी संतान से संबंधित जितने भी केस न्यायालयों या विभागीय जांचों में लंबित हैं, उन्हें अब स्वतः समाप्त मान लिया जाएगा। ऐसे मामलों पर अब कोई कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि, पुराने मामलों में जिन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी थी, उन्हें पुनः नहीं खोला जाएगा।
कौन से विभाग होंगे प्रभावित?
इस बदलाव से सबसे ज्यादा असर चिकित्सा शिक्षा (Medical Education), स्वास्थ्य (Health), स्कूल शिक्षा (School Education), और उच्च शिक्षा (Higher Education) विभागों पर पड़ेगा। अनुमान है कि इस पाबंदी के कारण इन विभागों में करीब 8 से 10 हजार मामले लंबित हो सकते हैं। चिकित्सा शिक्षा से जुड़ी लगभग 12 शिकायतें सामान्य प्रशासन विभाग तक पहुंची हैं, जिन पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
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पड़ोसी राज्यों में पहले ही हटाई गई पाबंदी
मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ पहले ही इस पाबंदी को हटा चुके हैं। राजस्थान ने 11 मई 2016 को, और छत्तीसगढ़ ने 14 जुलाई 2017 को यह पाबंदी समाप्त कर दी थी। इन राज्यों में अब तीसरी संतान वाले लोग सरकारी नौकरी में काम कर रहे हैं।
प्रजनन दर पर ध्यान
मध्य प्रदेश की प्रजनन दर (fertility rate) 2.9 है, जो राष्ट्रीय औसत (2.1) से ज्यादा है। शहरी इलाकों में यह दर 2.1 और ग्रामीण क्षेत्रों में 2.8 के करीब है। इसके अलावा, बिहार राज्य में सबसे अधिक प्रजनन दर (3.0) है, जिसका मतलब है कि यहां एक महिला औसतन 3 बच्चों को जन्म देती है।
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की प्रजनन दर 2.0
भोपाल की प्रजनन दर 2.0 है, जो राज्य के बाकी हिस्सों से कम है। राज्य के कुछ अन्य जिलों में जैसे पन्ना (4.1), शिवपुरी (4.0), और बड़वानी (3.9) में उच्च प्रजनन दर देखी जाती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख का बयान
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की जनसंख्या नीति पर विचार करते हुए कहा था कि औसतन तीन बच्चों का होना चाहिए। उनका मानना है कि इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे संसाधनों पर दबाव नहीं बढ़ेगा। उनके इस बयान के बाद ही मध्य प्रदेश में दो बच्चों की सीमा हटाने की प्रक्रिया को गति मिली, और इस नीति में बदलाव के लिए तैयारी शुरू हो गई।
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