मध्य प्रदेश की मोहन सरकार मंगलवार को कैबिनेट की बैठक करने जा रही है। यह बैठक कई मायनों में खास होने वाली है। पिछले कुछ महीनों में एमपी के अलग-अलग जगहों से बेटियों से दुष्कर्म के कई मामले सामने आए हैं। इस घटना से राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल उठे हैं। दरअसल, अब मोहन सरकार जल्द ही नाबालिग दुष्कर्म पीड़ितों और उनसे जन्मे बच्चों के पुनर्वास और कल्याण के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक इस मामले को लेकर आज मोहन यादव की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होने वाली है, जिसमें इस योजना को मंजूरी मिल सकती है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर यह योजना
बता दें कि यह योजना केंद्र सरकार के निर्देश पर बनाई गई है। पिछले साल यौन अपराधों से बच्चों के लिए संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत विक्टिम केयर एंड सपोर्ट स्कीम बनाने की सिफारिश की गई थी। इसका संचालन निर्भया फंड से किया जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। योजना के तहत ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र तक स्वास्थ्य और शिक्षा के साधन मुहैया कराए जाएंगे।
क्या-क्या हो सकते हैं प्रावधान?
- ऐसे बच्चों के लिए डेडिकेटेड चाइल्ड केयर यूनिट स्थापित की जाएगी।
- पीड़ितों को मानसिक आघात से उबरने में मदद करने के लिए काउंसलिंग और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा दी जाएंगी।
- यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पीड़ित अपनी शिक्षा से वंचित न रहें। अगर वे कोई व्यावसायिक प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, तो उनकी मदद की जाएगी।
- पीएम-जेएवाई के तहत नवजात बच्चे को प्रति वर्ष 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जा सकता है।
- मध्य प्रदेश सरकार मिशन वात्सल्य के माध्यम से संस्थागत देखभाल और गैर-संस्थागत देखभाल के लिए प्रति वर्ष 25 लाख रुपए का प्रावधान भी कर सकती है।
- 23 वर्ष की आयु तक या बच्चे को रोजगार मिलने तक प्रति बच्चे 4000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
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