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मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव हासिल करने का दावा किया था, लेकिन अब वह अपने खर्चों को पूरा करने के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का नया कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। इस कर्ज से राज्य की वित्तीय स्थिति और जटिल हो जाएगी। सरकार ने कर्ज लेने की औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं और आरबीआई को 'लेटर ऑफ विलिंगनेस' भेजा जा चुका है, जो उधार लेने से पहले एक आवश्यक प्रक्रिया है। यह कर्ज 4 मार्च को लिया जाना प्रस्तावित है।
इस वित्तीय वर्ष में अब तक सरकार 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है और नए कर्ज के बाद यह आंकड़ा 47 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। राज्य सरकार को इस वर्ष कुल 64 हजार करोड़ रुपए तक का कर्ज लेने की अनुमति मिली थी, जिसमें से अब तक 41 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष के बचे हुए समय में सरकार के पास 23,000 करोड़ रुपए तक और कर्ज लेने की गुंजाइश बनी हुई है।
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कर्ज का बढ़ता बोझ और सरकार की सफाई
31 मार्च 2024 तक मध्य प्रदेश सरकार पर कुल 3.75 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में लिए गए लगातार कर्ज के बाद यह बढ़कर 4.15 लाख करोड़ रुपए पार कर गया है। सरकार का तर्क है कि यह कर्ज राज्य में विकास परियोजनाओं, सिंचाई बांधों के निर्माण, परिवहन सेवाओं के विस्तार, किसानों को ऋण देने, बिजली उत्पादन और पारेषण जैसी बुनियादी संरचनाओं के निर्माण में किया जा रहा है।
हालांकि, विपक्ष और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार का कर्ज बढ़ता जा रहा है और राज्य की राजस्व आय उस अनुपात में नहीं बढ़ रही है। इससे भविष्य में वित्तीय संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
सरकारी खर्च और महंगी खरीदारी
जहां एक ओर सरकार कर्ज लेने की जरूरत जता रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी खर्चों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
1. पिछले साल 10 जुलाई को सरकार ने 230 करोड़ रुपए की लागत से नया जेट विमान खरीदने की मंजूरी दी थी।
2. मंत्रियों के बंगलों के नवीनीकरण पर 18 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए।
3. मंत्रियों और उच्च अधिकारियों के लिए नई कारों की खरीद भी की गई, जिस पर भारी रकम खर्च हुई।
इन खर्चों को देखते हुए यह सवाल उठने लगे हैं कि जब राज्य सरकार बार-बार कर्ज लेने की स्थिति में है, तो ऐसे गैर-जरूरी खर्चों को कम क्यों नहीं किया जा रहा है।
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मध्य प्रदेश की कुल देनदारी
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, मार्च 2024 तक भारत में सभी राज्य सरकारों की कुल देनदारी 93 लाख 93 हजार 317.5 करोड़ रुपए थी, जिसमें अकेले मध्य प्रदेश की देनदारी 4 लाख 80 हजार 976 करोड़ रुपए थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक रणनीति अपनानी चाहिए। लगातार कर्ज लेने से भविष्य में विकास योजनाओं पर दबाव बढ़ सकता है और राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है।
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