MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने तबादलों की तारीख बढ़ा दी है। इससे ट्रांसफर आवेदन देने वालों को और समय मिलेगा। कई अधिकारी-कर्मचारी तबादलों के विरोध में हाईकोर्ट जा सकते हैं। सरकार ने पहले ही कोर्ट में आवेदन दायर कर लिया है। जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर हाईकोर्ट में सरकार का पक्ष सुनने के लिए केविएट दाखिल किया गया है। शिक्षा विभाग ने कोर्ट से कहा है कि स्थानांतरित कर्मचारियों की अपील पर फैसला करने से पहले सरकार का पक्ष सुना जाए।
HC में केविएट के जरिए सरकार ने जताई सतर्कता
शिक्षा विभाग और अन्य कई विभागों ने जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर हाईकोर्ट में केविएट याचिका दाखिल की है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि स्थानांतरण से जुड़े मामलों में कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले संबंधित विभाग की बात सुनी जाए। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट होती है कि वह तबादलों से जुड़े न्यायिक विवादों के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहती है।
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शिक्षकों-कर्मचारियों के तबादलों पर प्रशासनिक नजर
स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकीय और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के स्थानांतरण विभाग की प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुसार हो रहे हैं। यह तबादला नई नीति के तहत किया जा रहा है, जो 1 मई से लागू हुई थी। अब इसकी समय सीमा 30 मई से बढ़ा दी गई है।
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कोर्ट में चुनौती देने की आशंका बनी हुई
सरकारी कर्मचारियों द्वारा ट्रांसफर आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर किए जाने की संभावना बनी हुई है। सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए चाहती है कि न्यायालय कर्मचारी पक्ष की याचिका पर निर्णय देने से पहले सरकारी पक्ष भी सुने। इससे सरकार की नीति को एकतरफा चुनौती देने की संभावना घटती है।
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सरकार ने तबादला नीति की समयसीमा बढ़ाई
सरकार ने 1 मई से 30 मई तक की ट्रांसफर नीति की समयसीमा को बढ़ा दिया है। सरकारी कर्मचारियों को आवेदन करने के लिए और समय मिल गया है। लेकिन इस निर्णय के साथ एक संभावित विवाद भी उभरता दिख रहा है। कई अधिकारी और कर्मचारी राज्य सरकार के ट्रांसफर आदेशों के खिलाफ कोर्ट की शरण ले सकते हैं। इसे भांपते हुए, सरकार ने पहले ही हाईकोर्ट में केविएट (पूर्व-अनुमति याचिका) दाखिल कर दी है ताकि कोई भी निर्णय सरकार की दलील सुने बिना ना लिया जाए।
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क्या कहती है स्थानांतरण नीति?
सरकार की स्थानांतरण नीति में यह व्यवस्था की गई है कि कर्मचारियों के ट्रांसफर प्रशासनिक आवश्यकता और सेवा हित में किए जा सकते हैं। विभागों को यह अधिकार है कि वे नीति के अनुसार निर्धारित प्रक्रिया में तबादला आदेश जारी करें। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी कई कर्मचारी अपनी स्थिति के आधार पर ट्रांसफर को चुनौती देने की तैयारी में हैं।
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