Gwalior. सोमवार 1 जुलाई 2024 से देशभर में नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। आजादी से पहले अंग्रेजों के बनाए कानून की भाषा, धाराओं व शब्दावली में बड़े बदलाव किए गए हैं। नए कानून में जनता को अधिकार और पुलिस को कुछ विशेष दायित्व दिए गए हैं। इस नए कानून के प्रति जागरुक करने के लिए मध्य प्रदेश की ग्वालियर पुलिस ने अजब और गजब पहल की है।
ग्वालियर में देहात क्षेत्र के एसडीओपी संतोष पटेल ने अनोखे तरीके से नए कानून के प्रति लोगों को जागरूक किया। पुलिस ने बेहट सर्कल के हस्तिनापुर के कोटवार और चौकीदार को भेजकर पूरे गांव में नए कानून लागू होने की जानकारी देने के लिए मुनादी करवाई।
सुनाई दिया सुनो-सुनो-सुनो
पुलिस ने पुराने जमाने के तरह नए कानून की मुनादी (ढिंढोरा बजाकर सूचना देना) की है। जिसमें गांव का कोटवार साइकिल पर ढोल बजाते हुए निकला। साथ ही कहता गया कि अंग्रेजों के जमाने के कानून को बदलकर नया कानून एक जुलाई से लागू होगा। जिसमें आमजन को कई विशेष अधिकार मिलेंगे।
गांव-गांव ढोल बजाकर कोटवार ने दी जानकारी
पुलिस ने बेहट सर्कल में मुनादी भी बड़े रोचक व अनोखे ढंग से कराई। जिसमें ग्राम कोटवार साइकिल में सवार होकर ढोल के साथ गांव-गांव पहुंचकर इसकी जानकारी दे रहे हैं। इस आयोजन में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हों, इसके लिए पुलिस ग्रामीणों के बीच मिठाई का वितरण कर रही है।
एडीओपी ने कराई नए कानून की मुनादी
एडीओपी संतोष पटेल ने बताया कि देश में सोमवार से नए कानून लागू हो रहे हैं। इसके लिए थाना स्तर पर वृहद इंतजाम किए गए हैं, ताकि लोगों को नए कानून के प्रति जागरूकता मिले और वह नए कानून को समझ सकें।
एडीओपी पटेल ने कहा कि इसके लिए थाने में बड़ा आयोजन किया गया है। यह आयोजन देहात क्षेत्र के हस्तिनापुर थाने में होगा। इसलिए गांव के कोटवार और चौकीदार को भेज कर लोगों को थाने आने के लिए आमंत्रित किया है। उनका यह कदम सोशल मीडिया पर सराहा जा रहा है।
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जानें कैसा होगा नया कानून
भारत की संसद द्वारा आईपीसी के स्थान पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता), सीआरपीसी के स्थान पर बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) और एविडेंस एक्ट की जगह बीएसए (भारतीय साक्ष्य अधिनियम) पारित किया गया है। जिसमें नागरिकों को समय पर संवेदनशीलता के साथ सम्मान बनाये रखते हुए न्याय दिलाने की ओर ध्यान दिया गया है। पुलिस को अपराधियों पर लगाम कसने के लिए ढेर सारी शक्तियां दी हैं, वहीं फरियादी व पीड़ित पक्ष व गवाही देने वाले महिला, बच्चों व बुजुर्गों की सुनवाई के लिए पुलिस को उनके निवास स्थान पर जाने के लिए बाध्य किया है। ई-एफआईआर जैसे प्रावधान लाए गए हैं जो कि स्वागत योग्य हैं।
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