झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में 15 नवंबर की रात शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई,जबकि 37 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया। इस घटना के बाद मध्य प्रदेश में भी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर आ गया है और विभाग ने सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर रहें
इस घटना के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी और निजी सभी अस्पतालों को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सभी संस्थानों को अपने यहां फायर और इलेक्ट्रिकल ऑडिट अनिवार्य रूप से कराने के निर्देश दिए गए हैं। फायर सिस्टम और फायर एक्सटिंग्विशर चालू स्थिति में होने चाहिए।
लापरवाही की बलि चढ़े 10 नवजात, फायर एक्सटिंग्विशर्स थे एक्सपायर
औचक निरीक्षण और कार्रवाई की चेतावनी
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संस्थानों के प्रमुखों की होगी। औचक निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पाए जाने पर अस्पताल को तुरंत बंद किया जाएगा और संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
भोपाल में हो चुकी है ऐसी घटना
तीन साल पहले भोपाल के हमीदिया कैम्पस में बने कमला नेहरू अस्पताल में भी आग लगने से सात बच्चों की जान चली गई थी। घटना के समय फायर सुरक्षा उपकरण और हाइड्रेंट खराब हालत में थे। इस हादसे के बाद से अस्पतालों की फायर सुरक्षा पर सवाल उठते रहे हैं।
झांसी के अस्पताल में आग, 10 नवजातों की मौत, 35 खिड़की तोड़कर बचाए गए
दिशा-निर्देशों में क्या कहा गया
1. स्टाफ को आपात स्थिति में वार्ड खाली कराने का प्रशिक्षण दिया जाए।
2. विद्युत उपकरणों में खुले तारों या बिना प्लग के उपकरणों का उपयोग न हो।
3. बिजली प्रणाली पर स्वीकृत से अधिक भार न डालें, आवश्यकता होने पर अतिरिक्त भार स्वीकृत कराएं।
झांसी में लापरवाही की बलि चढ़े 10 नवजात
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एनआईसीयू (NICU) वार्ड में लगी भीषण आग ने 10 नवजात शिशुओं की जान ले ली। यह हादसा न केवल दिल दहला देने वाला है, बल्कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है। घटना में एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्विशर्स (Fire Extinguishers) और अन्य सुरक्षा मानकों की अनदेखी सामने आई है। मेडिकल कॉलेज में इस्तेमाल हो रहे फायर सिलेंडर 2020 और 2023 में ही एक्सपायर हो चुके थे। उन्हें रिफिल तक नहीं कराया गया था। घटना के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि आखिर प्रशासन ने सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच क्यों नहीं करवाई।
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