मध्य प्रदेश के दमोह जिले में मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इसके तहत ‘एलएमपी ट्रैकिंग डे’ योजना को लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं की पहचान करना और उन्हें समय पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत हर गुरुवार को आशा कार्यकर्ता और एएनएम घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करेंगी और उनकी देखभाल सुनिश्चित करेंगी।
दमोह स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
दमोह जिले में मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। हाल ही में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान हुए शिविरों में 400 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं पाई गईं, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थीं। ये गर्भवती महिलाएं हिंडोरिया और हटा में आयोजित शिविरों में मिलीं। इनमें से कई दूसरी बार मां बनने वाली थीं, इस समस्या को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने एलएमपी ट्रैकिंग डे योजना शुरू की है। जिसके तहत आशा कार्यकर्ता और एएनएम हर गुरुवार को घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं की पहचान करेंगी।
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एलएमपी ट्रैकिंग डे योजना की शुरुआत
गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड नहीं होने की जानकारी कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के पास पहुंची, तो उन्होंने सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन और नोडल अधिकारी डॉ. विक्रांत सिंह चौहान से इस मामले में चर्चा की। इसके बाद ‘एलएमपी ट्रैकिंग डे’ योजना की शुरुआत की गई।
हर गुरुवार होगी गर्भवती महिलाओं की जांच
अब हर गुरुवार को आशा कार्यकर्ता और एएनएम गर्भवती महिलाओं की पहचान करने के लिए डोर-टू-डोर जांच अभियान चलाएंगी। इस दौरान महिलाओं का प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाएगा और जिनका टेस्ट पॉजिटिव आएगा, उनका पंजीकरण तत्काल किया जाएगा। इसके बाद, उनकी पूरी जांच की जाएगी ताकि कोई जटिलता न हो। अब गांव-गांव में यह ट्रैकिंग होगी, जिससे महिलाओं को समय पर मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी। एलएमपी (Last Menstrual Period) यानी अंतिम मासिक धर्म की तारीख से गर्भावस्था की गणना की जाती है।
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गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड रखना बेहद जरूरी
कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर का कहना है कि गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड रखना बेहद जरूरी है। इससे जटिलताएं आने से पहले ही इलाज किया जा सकेगा। इस योजना से स्वास्थ्य विभाग को गर्भवती महिलाओं की पूरी जानकारी मिलेगी और उनके स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल की जा सकेगी।
महिलाओं की पहचान और पंजीकरण
इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गर्भवती महिला अनदेखी न हो। इस तरह की पहचान से प्रशासन को महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति का सही आंकलन करने में मदद मिलेगी, और साथ ही समय पर इलाज की व्यवस्था भी की जा सकेगी।
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5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला
✅ दमोह जिले में गर्भवती महिलाओं की पहचान के लिए एलएमपी ट्रैकिंग डे योजना शुरू की गई है।
✅ हर गुरुवार को आशा कार्यकर्ता और एएनएम घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण करेंगी।
✅ इस योजना का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्युदर को कम करना है।
✅ 400 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं हाल ही में शिविरों में पाई गईं, जिनका रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग में नहीं था।
✅ कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने गर्भवती महिलाओं का रिकॉर्ड रखना जरूरी बताया, ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
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