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मध्यप्रदेश हाइकोर्ट को दिशा देने वाले दो सीनियर जज, चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस दुप्पाला वेंकट रमण मंगलवार, 20 मई 2025 को न्यायिक सेवा से रिटायर हो रहे हैं। इसी दिन जबलपुर मुख्य पीठ और इंदौर खंडपीठ में उनके विदाई समारोह आयोजित किए जाएंगे, जिनमें वकील, न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी और न्यायालय के गणमान्यजन उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करेंगे।
हालांकि अभी इस विदाई समारोह में दो दिन शेष हैं, लेकिन न्यायिक गलियारों में दोनों जजों के कार्यकाल, सादगी और गरिमा की गूंज स्पष्ट रूप से सुनाई दे रही है। वकीलों के बीच इस बात की चर्चा है कि यह विदाई एक युग का समापन होगी, जिसने न्याय को न केवल विधिक बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी समझने की दृष्टि दी।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत का प्रेरणादायक सफर
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत का जन्म हरियाणा के ककौत गांव (जिला करनाल) में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि की पढ़ाई पूरी की और छात्र राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। वे एनएसएस के छात्र नेता और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के सांस्कृतिक सचिव भी रहे। वर्ष 1989 में उन्होंने दिल्ली में वकालत की शुरुआत की और केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार तथा सार्वजनिक उपक्रमों की ओर से कई महत्वपूर्ण मामले लड़े।
उन्हें 17 मई 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने लोकहित याचिकाओं, संवैधानिक मुद्दों और प्रशासनिक मामलों में कई अहम फैसले दिए। बाद में वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए और 23 सितंबर 2024 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। अपने कार्यकाल में उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता, समयबद्धता और लोकसेवा भावना को प्राथमिकता दी।
जस्टिस दुप्पाला वेंकट रमण: कठिन परिस्थितियों से निकलकर न्याय की ऊंचाई तक पहुंचे
जस्टिस दुप्पाला वेंकट रमण का जन्म आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के चिन्णा बोड्देपल्ली गांव में हुआ। वे मात्र 13 वर्ष की आयु में अपने पिता को खो बैठे थे, लेकिन कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने विधि की पढ़ाई पूरी की और आंध्र प्रदेश सरकार में विधि सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
विधि सचिव रहते हुए उन्होंने राज्य में 140 से अधिक अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का ऐतिहासिक कार्य किया। इसके बाद वे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 30 अक्टूबर 2023 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में स्थानांतरित हुए। अपने न्यायिक कार्यकाल में उन्होंने बाल अधिकार, महिला सुरक्षा, नागरिक स्वतंत्रता और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे विषयों पर अनेक साहसिक और समाजोन्मुख फैसले दिए।
20 मई को विदाई, न्यायिक परिवार करेगा सम्मानित
दोनों जजों का रिटायर होने का दिन 20 मई 2025 है। इसी दिन उनके सम्मान में जबलपुर में मुख्य पीठ और इंदौर में खंडपीठ स्तर पर विदाई समारोह आयोजित किए जाएंगे। बार एसोसिएशन, न्यायिक अधिकारीगण और कर्मचारीगण इस अवसर पर उनके न्यायिक योगदान को याद करते हुए उन्हें भावभीनी विदाई देंगे। इन समारोहों में न्यायिक मर्यादा, मानवीय संवेदनाओं और अनुकरणीय सेवा के प्रतीकों के रूप में दोनों न्यायाधीशों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाएगी।
रिटायरमेंट एक पड़ाव, न्याय का उजाला बना रहेगा प्रेरणा
20 मई को जब दोनों जज सेवा से विदा लेंगे, तब कोर्ट की दीवारें उनके सिद्धांतों की गूंज से गवाही देंगी कि उन्होंने न केवल कानून की व्याख्या की, बल्कि सामाजिक न्याय और संवेदना के साथ उसे जिया। उनके पदचिह्न आने वाले न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और विधि विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक रहेंगे।
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