रुका था अधिवक्ताओं का रजिस्ट्रेशन, हाईकोर्ट ने दिया प्रोविजनल का आदेश

हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए राज्य बार काउंसिल को आदेश दिया है कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने तक सभी विधि स्नातकों को अस्थायी रूप से नामांकित ( प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन ) किया जाए।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार 27 नवंबर को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य बार काउंसिल को आदेश दिया है। आदेश में वेरीफिकेशन प्रक्रिया पूरी होने तक सभी लॉ ग्रेजुएट को अस्थायी रूप से नामांकित ( प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन) करें। यह फैसला चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने बार काउंसिल को यह प्रोसेस दो सप्ताह के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया। यह आदेश उन 6 हजार से अधिक विधि स्नातकों के लिए राहत लेकर आया है, जो पिछले चार महीनों से नामांकन प्रक्रिया रुकने के कारण अधिवक्ता बनने का इंतजार कर रहे थे।

हजारों लॉ ग्रेजुएट के रजिस्ट्रेशन का है मामला

यह याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, इंदौर के पूर्व संयुक्त सचिव राकेश सिंह भदौरिया ने दायर की थी। याचिका में यह आरोप लगाया गया कि बार काउंसिल ने नामांकन समिति की अंतिम बैठक 29 जुलाई 2024 को आयोजित की थी, जिसके बाद से कोई भी बैठक नहीं बुलाई गई। इसके कारण वह लॉ ग्रेजुएट प्रभावित हैं जो कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने के लिए अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण का इंतज़ार कर रहे हैं। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया कि वह बार काउंसिल को नामांकन प्रक्रिया फिर शुरू करने का निर्देश दे और पेंडिंग आवेदनों का जल्द निपटारा किया जाए।

पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने जताई थी नाराजगी

इस मामले में 21 नवंबर 2024 को हुई सुनवाई में अदालत ने बार काउंसिल की ओर से दी गई जानकारी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। काउंसिल ने अदालत को बताया था कि संसाधनों और समय की कमी के कारण 6,000 से अधिक आवेदनों की जांच लंबित है। मुख्य न्यायाधीश ने काउंसिल से पूछा था कि अन्य राज्यों की तरह यहां अस्थायी नामांकन की प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली और अन्य राज्यों में अधिवक्ताओं को अतिरिक्त शुल्क देकर अस्थायी रूप से उसी दिन नामांकित किया जा सकता है। अदालत ने काउंसिल को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि अगली सुनवाई तक नामांकन प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का रोडमैप तैयार किया जाए।
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बार काउंसिल ने बताया देरी के कारण

27 नवंबर को हुई सुनवाई में बार काउंसिल के वकील ने अदालत को बताया कि उन्हें 6 हज़ार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इन आवेदनों की जांच के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें फॉर्म की जांच और सत्यापन शामिल है। सत्यापन के लिए फॉर्म संबंधित विश्वविद्यालयों को भेजे गए हैं। काउंसिल ने तर्क दिया कि सत्यापन प्रक्रिया लंबी होने के कारण अस्थायी नामांकन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने काउंसिल के तर्क को अस्वीकार करते हुए साफ किया कि सत्यापन प्रक्रिया लंबी हो सकती है, लेकिन  अस्थायी नामांकन एक वैकल्पिक समाधान है, जो विधि स्नातकों को अपने करियर की शुरुआत करने का मौका देगा। इसके बाद बार काउंसिल की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि अभी मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में ऐसा नहीं हो रहा है, लेकिन यदि अदालत के द्वारा आदेश दिया गया तो प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा । कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इस मामले में देरी को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट ने दिया प्रोविजनल इनरोलमेंट का आदेश

अदालत ने बार काउंसिल को आदेश दिया कि वह वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी होने तक सभी आवेदक लॉ ग्रेजुएट का प्रोविजनल एनरोलमेंट करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि दो सप्ताह की समय सीमा के भीतर इस कार्य को पूरा किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि अतिरिक्त शुल्क लेकर अस्थायी नामांकन उसी दिन किया जा सकता है, जिस दिन आवेदन दिया हो। यह आदेश उन लॉ ग्रेजुएट्स के लिए राहत लेकर आया है, जो पिछले चार महीनों से अधिवक्ता बनने की राह देख रहे थे।

जुलाई माह में ही कम हुई थी रजिस्ट्रेशन फीस

आपको बता दें कि 30 जुलाई 2024 से पहले कानून की पढ़ाई पूरी करने वाले अभ्यर्थियों को अधिवक्ता के लिए रजिस्ट्रेशन करने में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते थे। यार रजिस्ट्रेशन फीस 20 हज़ार से लेकर 40 हज़ार तक थी। 30 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस भारी भरकम रजिस्ट्रेशन फीस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य अधिवक्ता परिषद की सचिव गीता शुक्ला ने अधिसूचना जारी की थी कि अधिवक्ता परिषद द्वारा नामांकन शुल्क 750 रुपए से अधिक नहीं लिया जा सकता। लेकिन जैसा की याचिका में बताया गया की 29 जुलाई 2024 के बाद से स्टेट बर काउंसिल की कोई बैठक ही नहीं हुई। तो मध्य प्रदेश में नए अधिवक्ताओं को इस कम हुई फीस का अब तक कोई फायदा नहीं मिला है।

दो हफ्ते में करना होगा प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि यदि बार काउंसिल तय समय सीमा में निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो याचिका को फिर से प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आदेश का पालन नहीं होता है, तो याचिकाकर्ता अवमानना याचिका दायर कर सकता है। कोर्ट ने बार काउंसिल को स्पष्ट चेतावनी दी कि निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब यदि टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया दो हफ्तों में पूरी नहीं की जाती तो बार काउंसिल को कोर्ट की अवमानना झेलनी पड़ सकती है।

लॉ ग्रेजुएट के लिए राहत भरा फैसला

चार महीने से रुकी हुई रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के कारण हजारों लॉ ग्रेजुएट प्रभावित हो रहे थे। उनकी कानूनी प्रैक्टिस शुरू नहीं हो पा रही थी, जिससे उनके करियर पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा था। हाईकोर्ट के इस आदेश से उनके लिए रास्ता साफ हो गया है। अदालत ने अपने आदेश के साथ मामले का निपटारा कर दिया। हालांकि, बार काउंसिल के लिए यह आदेश एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन गया है, क्योंकि उन्हें दो सप्ताह के भीतर नामांकन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
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