/sootr/media/media_files/2025/05/10/feHtUk5owqXABcs0mJTt.jpg)
Photograph: (the sootr)
जबलपुर. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में यह हालात हैं कि जजों पर पेंडिंग मामलों का अत्यधिक बोझ है जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जो प्रदेश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था है, इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है। स्वीकृत 53 जजों के पदों में से चीफ जस्टिस को मिलाकर केवल 33 पद ही वर्तमान में भरे हुए हैं, इसका सीधा प्रभाव न्यायिक प्रक्रिया पर पड़ रहा है।
जजों को तय समय सीमा में सैकड़ों मामलों की सुनवाई करनी पड़ रही है, जिससे गुणवत्ता व निष्पक्षता प्रभावित हो रही है। यही कारण है कि आम जनता को अपने मामलों में वर्षों तक सुनवाई की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। वहीं वकीलों को भी बार-बार मामलों को सूचीबद्ध कराने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं, जिससे उनका समय, श्रम और संसाधन प्रभावित हो रहे हैं।
जनहित याचिका भी हुई दायर
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय वर्मा द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई, जिसमें उन्होंने जजों की संख्या में भारी कमी की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया। याचिका में यह तर्क दिया गया कि मामलों की बढ़ती संख्या और उपलब्ध न्यायाधीशों की कम संख्या के चलते आम नागरिकों को वर्षों तक न्याय नहीं मिल पा रहा है।
यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित ‘न्याय पाने के अधिकार’ का हनन है। याचिका में जजों की संख्या को न्यूनतम 70 तक बढ़ाने की मांग की गई ताकि वर्तमान दबाव को कम किया जा सके और लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।
यह भी पढ़ें... MP के 13 विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द, सरकार ने जारी किया आदेश जारी
हाइकोर्ट ने सरकार से की 85 जजों की स्वीकृति की मांग
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत ने महत्वपूर्ण जानकारी दी कि हाईकोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें 32 नए न्यायाधीशों के पद स्वीकृत करने की मांग की गई है। यदि यह मांग स्वीकार कर ली जाती है, तो हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या 85 हो जाएगी।
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यह मांग किसी आकस्मिक जरूरत की पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था को सुचारू और सशक्त बनाने की दृष्टि से की गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में एक न्यायाधीश को औसतन 8 हजार से 10 हजार मामले देखने पड़ रहे हैं, जो न्यायिक संतुलन के लिए अत्यधिक बोझ है।
यह भी पढ़ें... फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनाकर क्लेम कर लिए 14 लाख, ऐसे हुआ पर्दाफाश
निकट भविष्य में घटने वाली है संख्या, रिटायरमेंट से संकट और गहराएगा
हाईकोर्ट की वर्तमान संकटपूर्ण स्थिति और अधिक गंभीर होने वाली है क्योंकि आने वाले तीन महीनों में कुल पांच वरिष्ठ न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने वाले हैं। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत इसी महीने मई में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद जस्टिस संजीव द्विवेदी और जस्टिस दुपल्ला वेंकटरमन जून माह में सेवा निवृत्त होंगे।
वहीं अगस्त में जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल और जस्टिस प्रेम नारायण सिंह की विदाई होनी है। इन पांचों की सेवानिवृत्ति के बाद कार्यरत जजों की संख्या घटकर मात्र 28 रह जाएगी। ऐसी स्थिति में न्यायालय की कार्यक्षमता पर गहरा असर पड़ेगा और पेंडेंसी की स्थिति और भी विकराल रूप ले सकती है।
यह भी पढ़ें... इंदौर में भवंस प्रॉमिनेंट कॉलेज चेयरमेन समीर मीर बंबई बजार मस्जिद में कुछ लोगों के संपर्क में आकर हुआ कट्टर
नियुक्ति प्रक्रिया की सुस्ती बनी सबसे बड़ी चुनौती
हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से बेहद धीमी गति से चल रही है। पिछले नियुक्ति के रूप में केवल जस्टिस आशीष श्रोती को ही पदस्थ किया गया था, जिसके बाद अब तक कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। कॉलेजियम द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद सरकार की ओर से स्वीकृति में देरी होती रही है।
यह देरी न केवल न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि न्याय की प्रक्रिया को असाधारण रूप से विलंबित कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और कॉलेजियम समयबद्ध रूप से कार्य न करें, तो यह स्थिति गंभीर संवैधानिक संकट का रूप ले सकती है।
यह भी पढ़ें... जबलपुर में सेना की जासूसी करते दो युवकों को पकड़ा, भेज रहे थे दुश्मन देशों को जानकारी
न्याय की प्रतीक्षा में जनता, सरकार के निर्णय पर टिकी निगाहें
प्रदेश की जनता इस समय न्याय की प्रतीक्षा में है और उनकी निगाहें अब सरकार और न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया पर टिकी हैं। हाईकोर्ट द्वारा भेजे गए 85 पदों के प्रस्ताव पर यदि शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो यह न केवल न्यायिक व्यवस्था को और जर्जर करेगा, बल्कि संविधान में निहित मूल अधिकारों का भी सीधा उल्लंघन माना जाएगा।
अब समय है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका समन्वय स्थापित कर न्यायिक नियुक्तियों में तेजी लाएं और देश की लोकतांत्रिक नींव को और मजबूत करें।
वर्तमान में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में यह जज है पदस्थ
क्रम संख्या | जजों के नाम |
---|---|
1 | चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत |
2 | जस्टिस संजीव सचदेवा |
3 | जस्टिस अतुल श्रीधरन |
4 | जस्टिस विवेक रूसिया |
5 | जस्टिस आनंद पाठक |
6 | जस्टिस विवेक अग्रवाल |
7 | जस्टिस विजय कुमार शुक्ला |
8 | जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया |
9 | जस्टिस सुबोध अभ्यंकर |
10 | जस्टिस संजय द्विवेदी |
11 | जस्टिस विशाल धगत |
12 | जस्टिस विशाल मिश्रा |
13 | जस्टिस अनिल वर्मा |
14 | जस्टिस प्रणय वर्मा |
15 | जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी |
16 | जस्टिस द्वारकाधीश बंसल |
17 | जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के |
18 | जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल |
19 | जस्टिस दुपल्ला वेंकटरमन |
20 | जस्टिस अनुराधा शुक्ला |
21 | जस्टिस संजीव एस कलगांवकर |
22 | जस्टिस प्रेम नारायण सिंह |
23 | जस्टिस अचल कुमार पालीवाल |
24 | जस्टिस हृदयेश |
25 | जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह |
26 | जस्टिस विनय सराफ |
27 | जस्टिस विवेक जैन |
28 | जस्टिस राजेंद्र कुमार |
29 | जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल |
30 | जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी |
31 | जस्टिस देवनारायण मिश्रा |
32 | जस्टिस गजेंद्र सिंह |
33 | जस्टिस आशीष श्रोती |