मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर उठे ताजे विवाद ने एक बार फिर से राज्य की राजनीति गरमा गई है। हाल ही में मप्र हाईकोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हुआ था। लेकिन इस फैसले के बीच राज्य सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने आरक्षण से जुड़ी याचिका 5901/2019 के लंबित होने की बात कही। इसके बाद, ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने इस मुद्दे पर सरकार के मंत्री विश्वाग सारंग को खुली चुनौती दी। ठाकुर ने सवाल उठाया कि क्यों सरकार ओबीसी प्रकरणों के विशेषज्ञों से चर्चा नहीं करना चाहती और क्यों महाधिवक्ता की राय पर ओबीसी के अधिकारों का दमन किया जा रहा है।
ओबीसी आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की मंजूरी दे दी है, जिसे प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है। इस फैसले के बाद से ओबीसी समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन सरकार के मंत्री विश्वास सारंग के बयान ने एक नई बहस खड़ी कर दी है। मंत्री ने कहा कि आरक्षण से संबंधित मुख्य मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि रामेश्वर ठाकुर का कहना है कि सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
ठाकुर ने सारंग की दी डिबेट की चुनौती
रामेश्वर सिंह ठाकुर ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार से खुली डिबेट की चुनौती दी है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार ओबीसी के अधिकारों के लिए क्यों नहीं लड़ रही है और महाधिवक्ता की राय पर क्यों विश्वास किया जा रहा है, जबकि ओबीसी के भविष्य का सवाल है। ठाकुर का आरोप है कि सरकार जानबूझकर मामले को लटकाए रख रही है और ओबीसी के अधिकारों का दमन किया जा रहा है।
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विश्वास सारंग ने दिया था ये बयान
सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि उनकी सरकार पिछड़े वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण देने के पक्ष में है। सारंग का दावा है कि कमलनाथ की सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया और न्यायालय में अपना पक्ष ठीक से नहीं रखा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार केवल राजनीति और दिखावे के लिए आरक्षण की बात कर रही थी, जबकि असल में वह पिछड़े वर्ग के आरक्षण के खिलाफ थे।
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सरकार का पक्ष और आगे की रणनीति
मंत्री विश्वास सारंग ने यह भी स्पष्ट किया कि जो परिपत्र खारिज हुआ है, वह केवल एक छोटे से मुद्दे से संबंधित था, और 27 फीसदी आरक्षण का मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है। सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण देने के पक्ष में पूरी दृढ़ता के साथ अपना पक्ष रख रही है और वह इस मामले में न्यायालय से सकारात्मक निर्णय की उम्मीद करती है।