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मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के सपने को IAS ही पलीता लगा रहे हैं। प्रशासनिक कसावट के लिए उनकी कवायदों का पालन नहीं करने के चलते देश के किसी मंत्रालय में पहली बार फेस अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया है। अब वल्लभ भवन में कर्मचारी तो छोड़िए खुद IAS अफसर ही इसको फॉलो नहीं कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि CS आखिर इन पर क्या Action लेंगे? अगर मंत्रालय में ही व्यवस्था लागू नहीं हो सकी तो जिलों तक कैसे इसे लागू करवाया जा सकेगा?
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एक फरवरी से लागू होना था सिस्टम
मुख्य सचिव के रूप में ज्वाइन करते ही अनुराग जैन ने प्रशासनिक कसावट पर जोर दिया था। इसी के तहत मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुख्यालय वल्लभ भवन में एप आधारित अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जाना था, लेकिन अधिकारियों की बेरुखी के कारण यह शुरू ही नहीं हो पाया। मंत्रालय में लगभग 50 IAS अधिकारियों में से केवल 6 ही एप से हाजिरी लगा रहे हैं। बता दें कि कर्मचारियों के लिए बनाए गए इस सिस्टम में अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। इसके बावजूद अधिकतर अधिकारी रजिस्ट्रेशन करने में असफल रहे हैं।
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IAS अफसरों को भी करना होगा 8 घंटे काम
दरअसल नई व्यवस्था के तहत अब IAS अधिकारियों को भी कर्मचारियों की तरह 8 घंटे ऑफिस में उपस्थित रहना होगा। जियो टैगिंग बेस्ड इस एप से उनकी अटेंडेंस दर्ज होगी। इसी कारण अफसर इस सिस्टम से बचने की कोशिश कर रहे हैं। सिर्फ कुछ अधिकारियों ने ही इस व्यवस्था को अपनाया है। इनमें वित्त विभाग के मनीष रस्तोगी, उप सचिव अजय कटेसरिया और अन्य अधिकारी शामिल हैं।
अब किसे देंगे दोष
मंत्रालय में पदस्थ अफसरों से जब भी काम न होने या ऑफिस के अनुशासन के बारे में सवाल किए जाते हैं तो यही जवाब होता है कि हम तो टाइम से ऑफिस आ जाते हैं। नीचे के कर्मचारी ही नदारत रहते हैं, तो हम भला क्या कर सकते हैं? मगर अब इस सिस्टम में IAS अफसरों की उदासीनता ने अफसरों की भी पोल खोल दी है।
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देश में पहली बार ऐसा प्रयोग
यह देश में पहली बार है कि किसी राज्य में आधार बेस्ड फेस रिकॉग्निशन से अटेंडेंस लगाने की कोशिश की जा रही है। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया कि यह एक सरल और प्रभावी प्रणाली है। मुख्य सचिव अनुराग जैन के निर्देशन में यह प्रणाली पहले मंत्रालय में लागू की जा रही है। इसके सफल होने के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। कलेक्टर कार्यालयों और अन्य सरकारी दफ्तरों में भी इस प्रयोग को आगे बढ़ाया जाएगा।
अधिकारी ही बन रहे बाधा
नई व्यवस्था में सबसे बड़ी बाधा अधिकारी ही बन रहे हैं। फरवरी के पहले सप्ताह तक केवल 10 प्रतिशत अधिकारियों ने एप के माध्यम से अपनी हाजिरी दर्ज की है। मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन करने वाले कर्मचारियों की संख्या 1266 है, लेकिन अधिकारियों की भागीदारी कम है।
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